लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज पुलिस स्मृति दिवस पर रिजर्व पुलिस लाइन लखनऊ में शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। डीजीपी ओपी सिंह के साथ इस मौके पर योगी आदित्यनाथ सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्री इस मौके पर मौजूद थे। एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी में पुलिस स्मृति परेड का नेतृत्व किया।
उन्होंने कहा कि पुलिस बल के वीर शहीदों ने अपने सर्वोच्च बलिदान और त्याग से उत्तर प्रदेश शासन एवं पुलिस विभाग का गौरव बढ़ाया है। पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के अपने बहादुर पुलिस जवानों से मैं यही आग्रह करूंगा कि पूरी ईमानदारी और कर्तव्य परायणता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि हम उनके हितों पर ध्यान भी दे रहे हैं। सरकार ने फैसला किया है कि शहीद पुलिसकर्मियों के गांव का संपर्क मार्ग उनके नाम से होगा। सरकार ने अब तक 27 शहीदों के परिवारों को सात करोड़ सात लाख रुपये की धनराशि 24 से 48 घंटे के अंदर वितरित की है।
वर्ष 2017 में 9,892 पुलिस कर्मियों को, वर्ष 2018 में 37,575 पुलिस कर्मियों को पदोन्नतियां प्रदान की गईं जो कि अब तक का एक रिकॉर्ड है। 42,000 पुलिस कर्मियों की भर्ती प्रचलित है, इसमें और तेजी लाने के लिए अगले चरण में 51,216 पुलिस कर्मियों की भर्ती का भी कार्यक्रम पुलिस भर्ती बोर्ड ने घोषित किया है।
बागपत के वाजिदपुर बड़ौत निवासी आरक्षी अंकित की पत्नी नेहा के साथ आजमगढ़ के छतउर सुलतानीपुर, जहानाबाद निवासी रामवृक्ष की पत्नी कांति ने सम्मान प्राप्त किया। इसके अलावा बुलंदशहर के ढकोली बीबी नगर निवासी दीपक के पिता रामवीर सिंह, शाहजहांपुर के सिधौली गरवापुर निवासी बृजेश की पत्नी स्वाति और खीरी के हिदायत नगर पुराना एसपी बंगला निवासी कमलाकांत की पत्नी रेखा देवी ने सम्मान प्राप्त किया। आरक्षी दीपक और बृजेश बिजनौर में ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में शहीद हो गए थे। कमलाकांत बरगद के पेड़ में लगी आग को बुझाते समय शहीद हुए थे, जबकि अंकित कस्टडी से फरार बदमाश को पकडऩे के दौरान शहीद हो गए थे। वहीं रामवृक्ष ड्यूटी के दौरान कुछ युवकों के हमले में शहीद हुए थे।
राजधानी के पुलिस लाइन में पुलिस स्मृति दिवस परेड का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस अवसर पर बहादुर जवानों के परिवार को आश्वस्त करता हूँ कि राज्य सरकार उन्हें हर सम्भव सहयोग करने के लिए तत्पर रहेगी। भर्ती की प्रक्रिया को सरकार पुलिस बल में कमी को दूर करने के लिए आगे बढ़ा रही है। 42 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती और अगले चरण में 51 हजार पुलिस भर्ती की जाएगी। 1 लाख 25 हजार आरक्षी भर्ती को पूर्ण करते हुए पुलिस की कमी को खत्म कर देंगे।
समयबद्ध प्रोन्नतियों पर बल दिया गया है। 5793 आरक्षियों को प्रशिक्षित किए जाने के लिए संस्थागत ढांचा उपलब्ध है। प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए अन्य राज्यो का भी सहयोग ले रहे हैं। जालौन और सुल्तानपुर के प्रशिक्षण केंद्र भी शुरू होंगे। राज्य सरकार पुलिस लाइन और बैरकों में धनराशि उपलब्ध करा रही है। पुलिस बल से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए एक आयोग के गठन का निर्णय लिया है। साइकिल और वर्दी भत्ता के सम्बन्ध में एक अपेक्षा थी। चिकित्सा प्रतिपूर्ति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए 1 लाख रुपए के सहयोग तक 23 नवम्बर तक चिकित्सा विभाग को निर्देश दिए जा चुके हैं। जो पुलिसकर्मी कोमा में चले जाते हैं उन्हें असाधारण पेंशन के निर्देश दिए जा चुके हैं। शहीद के परिवार को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपए धनराशि और माता पिता को 10 लाख धनराशि किया जा चुका है।
यूपी के मूल निवासी जो बाहर शहीद होते हैं उन्हें 25 लाख और जो यूपी के बाहर के निवासी है और यूपी में शहीद होते हैं तो 25 लाख की धनराशि दी जा रही है। वर्तमान सरकार द्वारा मृतक पुलिस के आश्रितों को पुलिस में भर्ती करने को ध्यान दिया जा रहा है। पुलिस मुठभेड़ आतंकवादी घटनाओं में वीरगति को प्राप्त हुए पुलिसकर्मियों के पैतृक गांव के मार्ग को उनके नाम पर किया। पुलिसकर्मियो को दिव्यांग हो जाने पर अनुग्रह धनराशि दिए जाने का निर्णय लिया गया है। अपराध और भ्र्ष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने के लिए जो काम शुरू हुआ है। उसके लिए पूलिसाधिकारियों द्वारा अच्छा प्रयास किया गया है।
प्रदेश में साप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले अराजक तत्वों पर कार्रवाई की गई है। छात्राओं महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया गया। पुलिस मित्र छवि बनाए जाने के निर्देश दिए गए। साइबर अपराध भी बढ़े है इसके लिए साइबर थानों की स्थापना की गई है। सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी तत्वों से निपटने को लगातार नजर रखी जा रही है। अचूक सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई है। पुलिस स्मृति दिवस पर यूपी के बहादुर पुलिस जवानों से यहीं आग्रह करूँगा कि पूरी कर्तव्यपरायणता के साथ अपना कार्य करते रहेंगे। प्रभु राम अपने अनुज लक्ष्मण से लंका विजय के उपरान्त यहीं कहते हैं जननी और जन्मभूमि का कोई विकल्प नहीं हो सकता।