उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने एक विचित्र सी स्थित उत्पन्न हो गई है। बीते बुधवार (22 मार्च) को उन्होंने राज्य में मंत्रालयों का बंटवारा किया। वहीं राज्य के गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी उन्होंने अपने पास ही रखी है। इसी बीच सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह मंत्रालय में बीते 2 साल से ऐसे केस की फाइल है जिसका संबंध सीधे उन्हीं से है।
राज्य पुलिस ने इस केस से जुड़े आरोपियो पर मुकदमा चलाने की आधिकारिक इजाजत मांगी है जिसमें स्वयं योगी आदित्यनाथ भी एक आरोपी हैं। आदित्यनाथ के अलवा गोरखपुर एमएलए राधामोहन दास अग्रवाल और बीजेपी राज्य सभा एमपी शिव प्रताप शुक्ला भी इस केस में आरोपी हैं।
पुलिस ने आईपीसी की धारा 153-A (धर्म के आधार पर दो समुदायों के बीच हिंसा भड़काने) के तहत चार्जशीट दायर करने की आधिकारिक अनुमती की मांग की है। मामला जनवरी 2007 में गोरखपुर में हुई साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़ा है।
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इसके बाद हाई कोर्ट के मामले में दखल देने के बाद 26 सिम्बर 2008 को एफआईआर दर्ज हुई। एफआईआर के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ ने दो समुदायों के बीच हिंसा भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण दिए थे जिसमें उन्होंने हिंदू युवा की मृत्यु के बदले की बातें कही थीं।
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