दिल्ली में हिंसा की निंदा करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि जनता ‘असंवेदनशील और अदूरदर्शी’ नेताओं को सत्ता में पहुंचाने की कीमत चुका रही है. चिदंबरम ने कहा कि सीएए में संशोधन का परित्याग तत्काल प्रभाव से करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सीएए को रोक देना चाहिए और सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों की बात सुननी चाहिए.

चिदंबरम ने कहा कि सोमवार को दिल्ली में हुई हिंसा और उसमें लोगों की मौत बहुत स्तब्धकारी है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘लोग असंवेदनशील और अदूरदर्शी लोगों को सत्ता में बैठाने की कीमत चुका रहे हैं. भारत में नागरिकता कानून 1955 लागू था और उसमें किसी संशोधन की जरूरत नहीं पड़ी थी. तो कानून में अब संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी? संशोधन (सीएए) को तुरंत रद्द कर देना चाहिए.’’
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘अब भी देर नहीं हुई. सरकार को सीएए का विरोध कर रहे लोगों की बात चुनना चाहिए और घोषणा करना चाहिए कि कानून की वैधता के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इस पर रोक रहेगी.’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने चेतावनी दी थी कि सीएए बहुत अधिक विभाजनकारी है और इसे रद्द कर देना या छोड़ देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमारी चेतावनी अनसुनी की गई.’’
पिछले दो दिनों में दिल्ली में बढ़ी हिंसा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने गृह मंत्रालय में सुरक्षा को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई. इस बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल, आईबी चीफ अरविंद कुमार, होम सेक्रेटरी अजय कुमार भल्ला, दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक समेत भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष मनोज तिवारी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा व अन्य मौजूद रहे.
बैठक में सामूहिक रूप से इस बात पर सहमति तैयार हुई की राजनीति से ऊपर उठकर सभी दल दिल्ली में शांति बहाली के लिए प्रयास करें. दिल्ली पुलिस को भी हिंसा की रोकथाम के लिए विशेष एहतियात बरतने को कहा गया है. गौरतलब है कि नागरिकता कानून को लेकर पिछले ढाई महीने से दिल्ली में अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शन चल रहे हैं, लेकिन पिछले दो दिनों से पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा, मौजपुर, सीलमपुर में हिंसा बढ़ गई.
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