पीलीभीत में मुठभेड़ में तीन आतंकियों के मारे जाने के बाद ऊधमसिंह नगर में यूं ही सतर्कता नहीं बरती जा रही है। इसके पीछे अतीत में 90 के दशक में हुई आतंकी घटनाओं की काली यादें जुड़ी हैं। अविभाजित यूपी के जमाने में चार साल तक जिला खालिस्तानी आतंकी घटनाओं से दहलता रहा था। यहां पंजाब से भागे खूंखार आतंकी सहित कई आतंकियों का खात्मा हुआ। वहीं कई पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी थी।
आतंकियों के सफाए के बाद फिर से आतंकी सिर नहीं उठा सके, लेकिन खालिस्तान के हमदर्द की सक्रियता सोशल मीडिया में सामने आती रही है। पीलीभीत की घटना के बाद पुलिस के साथ ही खुफिया एजेंसियां सक्रिय हैं।
दरअसल, अविभाजित यूपी के हिस्से और नैनीताल जिले में शामिल ऊधमसिंह नगर में वर्ष 1989 में खालिस्तानी आतंकियों की गतिविधियां शुरू हुई थी। पंजाब से बड़ी संख्या में आतंकियों ने जिले के जंगलों में शरण ली थी और आतंक फैलाना शुरू किया था। सबसे बड़ी घटना 17 अक्तूबर 1991 को रुद्रपुर में घटी थी। यहां पर खालिस्तान नेशनल आर्मी ने दो जगहों पर बम विस्फोट किए थे। इनमें 41 लोगों की मौत हुई थी जबकि 140 लोग घायल हुए थे।
खालिस्तानी आतंक को करीब से देखने वाले रिटायर्ड डीएसपी जेसी पाठक बताते हैं कि पीलीभीत जिले से लगा होने की वजह से खटीमा बेहद संवेदनशील था। वर्ष 1990 में मझोला चौकी में वह इंचार्ज थे। चौकी में बीएसएफ, सीआरपीएफ और एसटीएफ की एक-एक कंपनी रहती थी। वर्ष 1991 में श्रीपुर विचुआ गांव में पंजाब से फरार 50 लाख के आतंकी यादवेंद्र उर्फ याद मारा गया था।
वहां से भागा उसका साथी चलविंदर उर्फ बिंदा जसपुर में मारा गया था। सितारगंज में शक्तिफार्म चौकी प्रभारी केजी शर्मा सहित छह, गदरपुर में एसओ जगमोहन उपाध्याय सहित पांच, रुद्रपुर में दो पुलिसकर्मियों की हत्याएं हुई थीं। इसके अलावा कई जगहों पर स्थानीय लोगों की हत्याएं भी आतंकियों ने की थी।
बताते है कि अतीत की घटनाओं के बाद जिले में खालिस्तानी आतंकी सक्रिय नहीं हुए थे, लेकिन उनके हमदर्द किसी न किसी रूप में सक्रिय रहते हैं। इसी वजह से जिले को संवेदनशील माना जाता रहा है। युवाओं को समझना चाहिए कि ऐसी गतिविधियों में शामिल रहने या ऐसे लोगों के संपर्क में रहकर सिर्फ भविष्य ही खराब होता है।
करीब दस फीसदी है सिख आबादी
जिले में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 16 लाख 48 हजार आबादी है। इनमें सिखों की आबादी करीब दस फीसदी है। सबसे अधिक बाजपुर, किच्छा, नानकमत्ता, सितारगंज, रुद्रपुर व गदरपुर में सिख आबादी है। इनका प्रमुख व्यवसाय खेतीबाड़ी है।
कई जगह हैं संवेदनशील
पीलीभीत की घटना के बाद पुलिस के साथ ही खुफिया एजेंसियां सक्रिय हैं। संदिग्ध गतिविधियों वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही पुलिस टीम सोशल मीडिया पर भी नजर रखे हुए है। खासतौर पर पीलीभीत से सटे खटीमा, नानमकत्ता, सितारगंज, बालपुर, रुद्रपुर, मदरपुर में खुफिया विभाग सक्रिय है।
सोशल मीडिया पर दिखते रहे हैं हमदर्द
खालिस्तान आतंकवाद जिले से अविभाजित यूपी के समय खत्म हो गया, मगर खालिस्तान को लेकर हमदर्दी रखने वाले कभी-कभार सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते आए हैं। वर्ष 2018 से 2021 तक खटीमा, रुद्रपुर, दिनेशपुर, नानकमत्ता, काशीपुर में प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठनों को लेकर पोस्ट करने के मामले सामने आए थे। इनमें गिरफ्तारियों के साथ ही चालानी व काउंसलिंग की कार्रवाई भी की गई थी। हालांकि वर्ष 2021 के बाद से ऐसे कोई मामले नहीं हैं।
पीएचक्यू से पीलीभीत की घटना को लेकर जारी निर्देशों का तत्परता से पालन कराया जा रहा है। पुलिस के साथ ही खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट को आला अधिकारियों को साझा किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर नजर के साथ ही सीमाओं पर चेकिंग की जा रही है। फिलहाल अभी तक कोई संदिग्ध गतिविधि सामने नहीं आई है, लेकिन पुलिस पूरी तरह से चौकस है।– मणिकांत मिश्रा, एसएसपी, ऊधमसिंह नगर