तीन साल पहले पाकिस्तान भारत लौटी गीता को अब तक अपना परिवार नहीं मिल पाया है. हालांकि कई परिवार दावा कर रहे हैं, लेकिन गीता उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया है. वहीं, अन्य कई परिवारों के दावों को लेकर उनसे पहचान कराने की कोशिश की जा रही है. हाल ही में बिहार के दरभंगा जिला के हवासा गांव के एक परिवार से गीता की बात कराई गई, लेकिन उसने परिवार को पहचानने से इनकार कर दिया. वहीं, गीता ने वहां के कुछ स्थानों को पहचाना है.
दरअसल, गीता को इंदौर से वीडियो कॉलिंग कर बिहार के दरभंगा जिला का हवासा गांव और उसका कथित घर दिखाया गया. गीता ने गांव के कई जगहों को पहचान लिया है. हालांकि जिस महिला ने मां होने का दावा किया था उसे पहचानने से गीता ने इनकार कर दिया है. वहीं, एक व्यक्ति को उसने चाचा के तौर पर पहचाना है. साथ ही उसने दरभंगा आने की इच्छा भी जताई है.
विदेश मंत्रालय की मदद से पाकिस्तान से हिन्दुस्तान लौटी गीता को अपनी बेटी बताने वाले दरभंगा के मांझी परिवार को तब और ज्यादा बल मिला जब सरकार की पहल पर गीता ने खुद विडियो कॉलिंग के माधयम से परिवार को पहचाने की कोशिश की. इस दौरान गीता ने हवासा गांव के कई जगहों को भी करीब से देखा. उसने कई जगहों की पहचान भी की है.
इससे पहले दरभंगा के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने मीडिया की खबरों को संज्ञान में लेते हुए परिवार के दावे की जांच हायाघाट के बीडीओ राकेश कुमार से करावायी. जांच रिपोर्ट में भी साफ लिखा है कि तथ्यात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि गीता पर उसकी मां और परिवार का दावा सही हो सकता है. पारिवारिक पृष्टभूमि और ग्रामीणों के मंतव्यों से इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि गीता ही हवासा की संगम कुमारी है.
गीता ने खुद विडियो कॉलिंग पर मीडिया के सामने आकर बताया कि कई चीजें हैं जो इस गांव से मेल खा रही है. उसने खुद दरभंगा के हवासा गांव आने की इच्छा जतायी है. अब जल्द ही उसे दरभंगा ले जाया जा सकता है. वहीं, दरभंगा के अन्य परिवार के लोगों ने भी गीता को लेकर दावा किया गया उनकी भी पहचान कराई जा सकती है.