पाकिस्तान ने सऊदी प्रभुत्व वाले इस्लामिक सहयोग संगठन को कश्मीर को लेकर सीधी धमकी दी

कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए पांच अगस्त को एक साल पूरे हो गए. भारत के इस कदम के खिलाफ पाकिस्तान ने तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की लेकिन नाकाम रहा. यहां तक कि पाकिस्तान मुस्लिम देशों को भी एकजुट नहीं कर सका. इससे परेशान होकर अब पाकिस्तान ने सऊदी के प्रभुत्व वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) को कश्मीर को लेकर सीधी धमकी दी है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बुधवार को सऊदी की अगुवाई वाले ओआईसी को चेतावनी देते हुए कहा है कि कश्मीर पर विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक बुलाने में बिल्कुल देरी ना करे.

पाकिस्तानी न्यूज चैनल एआरवाई न्यूज से एक टॉक शो में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, मैं एक बार फिर सम्मानपूर्वक ढंग से ओआईसी को बताना चाहता हूं कि हमारी अपेक्षा विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक से कम कुछ नहीं है. अगर आप इसे नहीं बुला सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से ये कहने के लिए मजबूर हो जाऊंगा कि वो कश्मीर मुद्दे पर हमारे साथ खड़े इस्लामिक देशों के साथ अलग से बैठक बुलाएं.

कुरैशी ने कहा कि अगर ओआईसी अपने सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने में असफल रहता है तो पाकिस्तान इससे बाहर जाकर सत्र बुलाने के लिए तैयार है. एक दूसरे सवाल के जवाब में कुरैशी ने कहा कि अब पाकिस्तान और इंतजार नहीं कर सकता है.

ओआईसी मुस्लिम देशों का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है. इसके 57 देश सदस्य है और संयुक्त राष्ट्र के बाद सबसे बड़ी इंटरगवर्नमेंटल बॉडी है. भारत के जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले के बाद से ही पाकिस्तान ओआईसी से बैठक बुलाने की मांग कर रहा है.

कुरैशी ने कहा कि कश्मीर पर विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक इसलिए नाकाम रही क्योंकि सऊदी अरब पाकिस्तान के अनुरोध को स्वीकार करने को लेकर अनिच्छुक था. ओआईसी में किसी भी प्रस्ताव को पास कराने के लिए सऊदी का समर्थन बहुत जरूरी है क्योंकि इस संगठन में सऊदी अरब का ही दबदबा है.

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान पिछले साल दिसंबर में सऊदी के कहने पर ही कुआलालंपुर समिट में शामिल नहीं हुआ था. अब पाकिस्तान के मुसलमान सऊदी को कश्मीर मुद्दे पर नेतृत्व करते देखना चाहते हैं. हमारी अपनी संवेदनाएं हैं. आपको इसका एहसास करना होगा. खाड़ी देशों को इस बात को समझना होगा.

उन्होंने कहा कि अब हम कूटनीतिक रूप से अच्छे दिखने के खेल में और नहीं पड़ना चाहते हैं. कुरैशी ने कहा कि वह भावुक होकर ऐसा नहीं कह रहे हैं बल्कि वे अपने बयान के मायने को अच्छी तरह समझते हुए ऐसा कह रहे हैं. कुरैशी ने कहा, ये सही है, मैं सऊदी अरब के साथ अच्छे संबंधों के बावजूद अपना पक्ष स्पष्ट कर रहा हूं. हम कश्मीरियों की प्रताड़ना पर और खामोश नहीं रह सकते हैं.

कश्मीर पर ओआईसी के कोई ठोस कदम ना उठाने को लेकर पहले भी पाकिस्तान नाराजगी जाहिर कर चुका है. फरवरी महीने में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मलेशिया के दौरे पर थे तो उन्होंने एक थिंक टैंक से बातचीत में इसे लेकर चिंता जताई थी. इमरान खान ने कहा था, हमारी (मुस्लिम देशों) कोई आवाज इसलिए नहीं है क्योंकि हम बंटे हुए हैं. यहां तक कि कश्मीर मुद्दे पर हम ओआईसी की बैठक को लेकर एक साथ नहीं आ सके.

पिछले कुछ वक्त से पाकिस्तान, मलेशिया और तुर्की मिलकर मुस्लिम देशों का अलग गठजोड़ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान तीनों देशों ने इस्लामोफोबिया को लेकर आवाज उठाई थी. मुस्लिम देशों की समस्याओं पर चर्चा के लिए पाकिस्तान मलेशिया की कुआलालंपुर समिट में हिस्सा लेने वाला था हालांकि, सऊदी ने इस चुनौती के तौर पर लिया. सऊदी की आपत्ति के बाद पाकिस्तान ने ऐन मौके पर इस समिट से दूरी बना ली थी.

इमरान के समिट में शामिल नहीं होने के बाद रियाद ने ओआईसी की विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक पर लचीला रुख अपनाया था. सऊदी के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ मुलाकात में भी ओआईसी की बैठक बुलाने के संकेत दिए थे. हालांकि, सऊदी अरब ने विदेश मंत्रियों के स्तर की कोई बैठक नहीं बुलाई.

जहां सऊदी अरब और यूएई ने कश्मीर मुद्दे पर भारत को समर्थन दिया है, वहीं तुर्की, मलेशिया और ईरान ने मुखर होकर कश्मीर पर भारत के खिलाफ बयान जारी किए. तुर्की राष्ट्रपति एर्दोआन ने हाल ही में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से बातचीत में भी कश्मीर पर समर्थन देने का वादा किया था.

अब पाकिस्तान तुर्की का साथ पाकर कश्मीर मुद्दे पर सऊदी से आर-पार करने के मूड में नजर आ रहा है. अब देखना ये है कि सऊदी अरब पाकिस्तान की इस खुले आम धमकी पर इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है!

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com