कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर टूटने और अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार हो रहे डीडीसी चुनाव से बौखलाया पाकिस्तान घुसपैठ के पुराने रूटों को सक्रिय कर रहा है। पुंछ जिले में पीर पंजाल पर्वत शृंखला में रविवार को 16 साल बाद आतंकियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ इसकी तसदीक करती है।
पीओके से घुसपैठ कराने के बाद यह रूट आतंकियों को कश्मीर घाटी पहुंचाने पहुंचाने का जरिया था। वर्ष 2004 में यहां मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद से पीर पंजाल में रेंज में कभी आतंकी मूवमेंट नहीं पकड़ी गई, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद से एलओसी पर लगातार गोलाबारी की घटनाएं हो रही हैं। इसी की आड़ में आतंकी घुसपैठ और हेरोइन व हथियारों की तस्करी की कोशिशें की जा रही हैं। मारे गए लश्कर के आतंकियों ने कुछ दिन पूर्व ही घुसपैठ की थी। इस दौरान एलओसी पर भारी गोलाबारी भी हुई।
माना जा रहा है कि गोलाबारी की आड़ में घुसपैठ की गई है, लेकिन सरहदी इलाकों में सुरक्षा ग्रिड की मजबूती से आतंकियों की मौजूदगी का पता लगा लिया गया। वहीं पुंछ व आसपास के इलाकों में घुसपैठ समेत संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पहले से अलर्ट जारी किया गया है। हर संदिग्ध हरकत पर संवेदनशील इलाकों को खंगाला जा रहा है।
एलओसी से घुसपैठ करने के बाद आतंकी डोगरेयां से पोशाना तक कैसे पहुंच गए, सुरक्षा एजेंसियां अब इसकी जांच में जुट गई हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान जिन इलाकों में भारी गोलाबारी कर रहा है, उसके आसपास वाले इलाकों में आईएसआई स्थानीय स्लीपर सेल तैयार करने में लगी है। गोलाबारी के लिए उन्हीं इलाकों का चुना गया है, जहां से पहले घुसपैठ होती रही है। घुसपैठ के इन पुराने रूटों में बालाकोट, मनकोट, करमाड़ा, कृष्णाघाटी, कीरनी, कस्बा और शाहपुर शामिल हैं। इन इलाकों में गोला बारूद भी बरामद होता रहा है।
लश्कर के तीन आतंकियों की पोशाना में मौजूदगी का इनपुट एक गुमशुदगी मामले की जांच से मिला। सूत्रों ने बताया कि एक स्थानीय तालिब हुसैन (46) निवासी डोगरेयां 9 दिसंबर को लापता हो गया था। पुलिस को सूचना मिली कि तालिब नदी किनारे से बजरी लेने गया और लौट कर नहीं आया। तालिब को ढूंढने के लिए जब टीमों को लगाया तो इलाके में संदिग्ध होने के इनपुट भी मिले। इसी जांच के आगे बढ़ने पर आतंकियों की मौजूदगी का पता चल गया। हालांकि पुलिस ने अभी तक तालिब की गुमशुदगी को आतंकी घटना से जोड़कर नहीं माना है।