2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा सत्ता से दूर रखने के लिए तीसरा मोर्चा कमर कस चुका है। बीजेपी के खिलाफ एक साथ लामबंद हुए पार्टियों में टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे मजबूत और प्रभावी मानी जा रही हैं। शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दीदी से मुलाकात की है। जाहिर है कि 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रणनीति बनाने के लिए ही उमर पश्चिम बंगाल पहुंचे थे।
इस मलाकात के बाद मीडिया को दोनो नेताओं ने संबोधित किया । मीडिया के एक सवाल कि क्या तीसरा मोर्चा से अगले चुनाव की प्रधानमंत्री उम्मीदवार ममता ही होंगी। इस सवाल पर उन्होने जवाब दिया कि अभी ये तय करने में बहुत समय है और मीडिया को किसी भी नाम को पीएम पद के लिए नहीं चुनना चाहिए। पहले मिलकर चुनाव लड़ा जाएगा, बीजेपी को मुकाबला दिया जाएगा और फिर बाद में बैठकर फैसला करेंगे। अगर पहले उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई तो क्षेत्रीय पार्टियों की एकता विभाजित हो जाएगी।
वहीं,जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक होकर बीजेपी को मात देना उनकी पार्टी की प्राथमिकता बताया। पश्चिम बंगाल सचिवालय नबन्ना में हुई इस भेंट को उमर ने ममता के साथ पुराने और निकट संबंध से जुड़ा हुआ भी बताया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ममता दीदी हमेशा से कश्मीर को लेकर चिंतित रही हैं। हमने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा हालात पर और देश में वर्तमान स्थिति और अल्पसंख्यकों में प्रबल होते डर के बारे में चर्चा की।
दोनो नेताओं ने एक बार फिर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक होकर बीजेपी को मात देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम हर उस पार्टी को मोर्चे में शामिल करेंगे जो बीजेपी के खिलाफ हैं। दरअसल थर्ड फ्रंट के गठन के लिए अन्य क्षेत्रीय दल भी इसमें ममता बनर्जी के साथ हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पहले ही इस विचार को लेकर ममता से मुलाकात कर चुके हैं। इसी विचार को लेकर ममता बनर्जी दिल्ली भी आईं थीं और विपक्ष के कई नेताओं के साथ उन्होंने इस पर बातजीत भी की थी।