नोटबंदी के बाद से ही लोगों को कैशलेस बनाने और ज्यादा से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन करने पर जोर दिया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकारें इसके लिए भरपूर प्रयास कर रही हैं. ताकि इसके जरिए काला-धन और हवाला जैसे हथकंडों से अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखा जा सके. लेकिन इस सबके बीच में लोगों से ठगी के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं.
रायपुर के राजेंद्र नगर थाने क्षेत्र में पहली वारदात
राजेंद्र नगर बजाज कॉलोनी में रहने वाली वर्षा शुक्ला ( बदला हुआ नाम) आधार कार्ड लिंक से ठगी का शिकार बनीं हैं. राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली शुक्ला के फोन पर एक अज्ञात शख्स का फोन बैंक वाले के रूप में आया. उसने वर्षा से पहले उनका आधार कार्ड नंबर और बैंक अकाउंट नंबर पूछा. फिर कुछ देर बाद उनके मोबाइल नंबर पर जेनरेट हुई छह अंकों वाली ओटीपी पूछा और कुछ ही देर में वर्षा के 63 हजार रुपये बैंक खाते से पार हो गए.
आधार कार्ड से लिंक होते हैं बैंक अकाउंट
साइबर एक्सपर्ट संतोष का कहना है कि आज के साइबर युग में यह सब संभव हैं.
आधार कार्ड नंबर के सहारे हुई इस ठगी से बैंक वालों से लेकर पुलिस अधिकारी सभी भौंचक्के हैं. एएसपी विजय अग्रवाल का कहना है कि इसी प्रकार का एटीएम फ्रॉड पहले भी हो चुके हैं. जिसमें झारखंड जामतारा के ठगों को पकड़ा गया था. वे अब भी जेल में हैं. जल्द ही इसके लिए एक टीम गठित की जाएगी.
लोगों में कैशलेश ट्रांजेक्शन को लेकर समाया डर
इस घटना के बाद से आम आदमी से लेकर व्यापारी सभी में दहशत का माहौल है. व्यापारियों का कहना है कि वे इस घटना से काफी सकते में हैं क्योंकि साइबर अपराध काफी जटिल है और उन लोगों के पास इन प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए कोई पुख्ता तैयारी नहीं है. जिससे लुट जाने का डर बना रहता है. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, औसतन हर साल 50 मामले सामने आ रहे हैं. इसमें कोड वर्ड लेकर ठगी की शिकायत हो रही है.