याची पक्ष की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही नियुक्तियों को याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर कर दिया है।
पंजाब में मास्टरों के 4161 पदों पर की जा रही भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार समेत अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर नियुक्तियां की जाती हैं तो याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर होंगी।
याचिका दाखिल करते हुए लखविंदर सिंह व अन्य ने एडवोकेट विकास चतरथ के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ने मास्टरों के 4161 पदों को भरने का निर्णय लिया था। इसके बाद विज्ञापन के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने भी आवेदन किया और भर्ती में हिस्सा लिया। सरकार ने जब भर्ती का परिणाम जारी किया तो पूर्व सैनिक व खेल कोटा के पद रिक्त रह गए। इन पदों को अनारक्षित कर दिया गया और इसे केवल सामान्य श्रेणी के आवेदकों से भरने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी और हाईकोर्ट ने नए सिरे से चयन सूची तैयार करने का पंजाब सरकार को आदेश दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि 9 नवंबर को पंजाब सरकार की ओर से नई सूची जारी की गई है और इस सूची में आरक्षित श्रेणी के लोगों के साथ अन्याय हुआ है। इस सूची में सामान्य श्रेणी में चयनित आखिरी उम्मीदवार के अंक 104 हैं, जबकि बीसी वर्ग की सूची में ही 23 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनके अंक 104 या इससे अधिक हैं। ऐसे में अधिक अंक वाले आरक्षित वर्ग के आवेदकों को सामान्य श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए।
आरक्षित श्रेणी के आवेदकों के सामान्य श्रेणी में जाने पर रिक्त हुए पदों पर मेरिट के अनुसार आरक्षित श्रेणी के आवेदकों को मौका दिया जाना चाहिए। याची पक्ष की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही नियुक्तियों को याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर कर दिया है।
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