भ्रष्टाचार से जुड़े एक पुराने हाईफाई मामले में अपने आदेश की अनुपालना न करने और बार-बार स्थगन की मांग पर गंभीर रुख अपनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
जस्टिस अलका सरीन ने कहा कि राज्य सरकार बार-बार स्थगन लेकर कार्यवाही टाल रही है जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
आरोप के अनुसार 2009 में नौकरशाह विजय कुमार जंजुआ को विजिलेंस ब्यूरो, मोहाली ने दो लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल ने अभियोजन की अनुमति दी लेकिन आरोपी ने यह दलील दी कि अनुमति देने का अधिकार केंद्र सरकार का है, न कि राज्यपाल का।
इसी आधार पर ट्रायल कोर्ट ने 2015 में उन्हें अस्थायी तौर पर बरी कर दिया और कहा कि जैसे ही सक्षम प्राधिकारी (केंद्र सरकार) से अनुमति मिलेगी, मामला फिर से शुरू किया जा सकता है।
इसके बाद पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 15 सितंबर, 2023 को अदालत ने आदेश दिया था कि पंजाब सरकार सभी दस्तावेज केंद्र सरकार को भेजे, ताकि अभियोजन की अनुमति पर निर्णय लिया जा सके। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि केंद्र सरकार तीन से चार महीने में फैसला ले लेकिन आदेश का पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर हुई।
सुनवाई में केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि उन्होंने 9 नवंबर 2023 और 4 मार्च 2024 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर पूरी फाइल भेजने के लिए कहा मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, राज्य सरकार के वकील ने बार-बार स्थगन मांगा। अदालत ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अब और समय नहीं मिलेगा। इसके बावजूद 18 अगस्त 2025 की सुनवाई पर भी राज्य सरकार ने कुछ दिन और मांगे।
इस पर जस्टिस अलका सरीन ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर आदेश की अवमानना कर रही है। अदालत ने राज्य सरकार पर 50,000 का जुर्माना लगाया और निर्देश दिया कि यह राशि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी में जमा कराई जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी। अदालत ने साफ किया कि अगर आदेशों की अवहेलना जारी रही तो सरकार को और कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।