पंजाब में किसान आंदोलन के कारण लंबे समय से ठप ट्रेनों की आवाजाही व बार-बार रोड जाम करने का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। इस संबंध में सोमवार को हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल ने हाई कोर्ट को बताया कि पंजाब में सभी रेलवे ट्रैक को खाली करवा दिया गया है। पंजाब सरकार के जवाब पर केंद्र ने भी सहमति जताई। हाई कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया कि वह 18 नवंबर तक इस मामले में हाई कोर्ट में विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दायर करे।

बता दें, पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही बंद होने के कारण लोग परेशान हैं। पंजाब में रेल गाड़ियां चलाने की अनिश्चितता वाली स्थिति अब त्योहारों की खुशियां अपने परिवारों में मनाने की इच्छा लिए बैठे लोगों पर भारी पड़ती नजर आ रही है। लोग दीपावली व छठ के लिए अपने प्रदेशों में जाना चाहते हैं, लेकिन अभी तक ट्रेनें कब चलेंगी इसको लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है।
अपने परिवार से दूर बैठे फौज के जवानों, प्रवासी मजदूरों और दूरदराज सूबों में नौकरी करने वालों के लिए यह मुश्किल की घड़ी है। पंजाब सरकार की कोशिशों के चलते किसान चाहे मालगाड़ियों के लिए रेलवे ट्रैक छोड़ने के लिए रजामंद हो गए हैं, परंतु यात्री गाड़ियां न चलने देने के एलान के कारण स्थिति ज्यों की त्यों बनी है। इसके अलावा बाहर के सूबे से पंजाब आने के इच्छुक ही नहीं, पंजाब से अपने राज्यों को जाने के इच्छुक भी परेशानी के आलम में हैं।
जम्मू-कश्मीर से दूसरे हिस्सों में जाने वाले फौजी या सुरक्षा बल के जवान पंजाब के रेलवे ट्रैक के सूने पड़े होने के कारण अपने परिवारों के साथ त्योहारों की खुशियां साझी करने से वंचित हुए बैठे हैं। यह इसलिए है, क्योंकि इसके लिए एक ही रूट जम्मू-पठानकोट है। इस कारण दिवाली पर घर आने के इच्छुक कई फौजी जवान इरादा बदल चुके हैं। वहीं दिवाली और छठ पूजा अपने परिवारों के साथ मनाने का मन बनाए बैठे प्रवासी मजदूरों के सपने भी धुंधले पड़ते नजर आ रहे हैं। इन लोगों के पास रेलगाड़ियां ही अपने गृह राज्यों को जाने का एक ही जरिया हैं। दूरदराज राज्यों में नौकरी कर रहे पंजाब के लोगों के लिए भी इस समय पर बड़ी मुसीबत बनी हुई है। वह पहले ही कोविड के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि निजी वाहन कर अपने घर लौट सकें।
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