चंडीगढ़, पंजाब में विधानसभा के चुनाव का रंग व अंदाज पिछले चुनावों से अलग होगा। इस बार चुनाव पर कोरोना महामारी का असर रहेगा। निर्वाचन आयोग ने कोविड के तय निर्देशों के अनुसार ही पार्टियों के लिए प्रचार कार्यक्रम तैयार किया है। इसके तहत रैलियां और नुक्कड़ मीटिंग आदि न करने को कहा गया है। ऐसे में साफ जाहिर है कि इस बार अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों के नए रास्ते तलाशने होंगे। ऐसा करने के लिए पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दलों के पास लोगों तक पहुंच बनाने के लिए 35 दिन बचे हैं।
चुनाव प्रचार और उम्मीदवारों को उतारने में आगे निकले अकाली दल और आप
शिरोमणि अकाली दल-बसपा गठजोड़ और आम आदमी पार्टी तो इस समय तक सौ-सौ से ज्यादा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुकी हैं। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ कांग्रेस इसमें बहुत पीछे है। भारतीय जनता पार्टी-पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) गठजोड़ के बीच तो अभी सीटें भी तय नहीं हुई हैं।
प्रचार के मामले में शिरोमणि अकाली दल सबसे आगे है। पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने इस बार बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ करके उनके खाते में 20 सीटें छोड़ी हैं। सुखबीर बादल पिछले तीन महीनों से लगातार प्रचार कर रहे हैं और सभी विधानसभा सीटों का एक राउंड पूरा कर चुके हैं। अपने हिस्से की 97 सीटों में से अभी तक पार्टी ने 93 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसी तरह आम आदमी पार्टी ने भी 117 में से 104 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं।
हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस भी आज अपनी पहली सूची जारी कर देगी क्योंकि उनकी केंद्रीय चुनाव समिति की आज वर्चुअल बैठक होनी थी। लेकिन, यह बैठक रद होने के चलते आज जारी होने वाली लिस्ट टल गई है। लगभग यही हाल भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों का है। अभी तक यह गठजोड़ यही तय नहीं कर पाया कि किस पार्टी को कितनी सीटें लड़नी हैं।
प्रचार के लिए उम्मीदवारों को अब डिजिटल प्लेटफार्मों का ही सहारा लेना पड़ेगा। अभी तक पार्टियों के उम्मीदवार या नेता जब भी अपने हलके में जाते थे तो लाेग उनसे सवाल करते थे और कई जगहों पर घेरकर उनके खिलाफ नारेबाजी भी करते रहे हैं। चुनाव आयोग के नुक्कड़ बैठकें और रैलियों पर रोक लगने से अब उन्हें भी राहत की सांस आई है।
आचार संहिता लगने से पंजाब की विपक्षी पार्टियां, अकाली दल-बसपा, भाजपा और आम आदमी पार्टी ने राहत की सांस ली है। दरअसल सत्तारूढ कांग्रेस की ओर से आए दिन किए जाने वाले ऐलान, लोगों को दी जाने वाली वित्तीय राहत और अनुबंध पर रखे कर्मचारियों को पक्का करने जैसी घोषणाओं से विपक्षी पार्टियां दबाव में थीं। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अपने सौ दिनों के कार्यकाल में सौ फैसले किए हैं।
मुख्यमंत्री के इस कार्यकाल को विपक्षी पार्टियां अराजकता और दुर्व्यवस्था बता रही हैं। शिअद के प्रधान सुखबीर बादल का कहना है कि सत्ताधारियों ने शासन को सर्कस में बदल दिया है। अब लोग राहत की सांस लेंगें क्योंकि यह कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और राज्य शिअद-बसपा गठबंधन के गंभीर, शांति के कार्यकाल की ओर अग्रसर हो जाएगा। बादल ने कहा कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पंजाब में पांच साल बर्बाद हो जाने का भी संकेत दिया है।