पंजाब में कोरोना को रोकने के लिए सरकार के माइक्रो कंट्रोल व घर-घर सर्वेक्षण मॉडल की PM मोदी ने की तारीफ

कोरोना से निपटने के लिए पंजाब सरकार के सूक्ष्म स्तर पर कंट्रोल के मैथड और घर-घर सर्वेक्षण की नीति की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की है। प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों को पंजाब का मॉडल अपनाने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री ने यह बात मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कोरोना से निपटने के लिए सभी राज्यों को ऐसी रणनीति अपनाने का सुझाव देने के दौरान कही।

मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफेंस में मोदी ने पंजाब के प्रयासों को सराहा, कैप्टन ने केंद्र से मांगा सहयोग

कोरोना को रोकने के लिए अपनाई जा रही नीति की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के पहले दिन कैप्टन ने प्रधानमंत्री को एक ग्रुप बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ मुख्यमंत्री शामिल किए जाएं, जो देश भर में अर्थव्यवस्था व सरकारों पर कोरोना के विनाशकारी प्रभावों पर विचार-विमर्श करते हुए केंद्र व राज्यों के बीच तालमेल स्थापित करें।

वीडियो कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने सभी राज्यों को मिलकर काम करने की अपील की। कैप्टन ने कहा कि जब अप्रैल के शुरू में उन्होंने कहा था कि कोरोना सितंबर तक चलेगा तो कुछ लोगों ने इसे डर फैलाने वाला बयान बताया था। अब माहिर चेतावनी दे रहे हैं कि यह सितंबर के बाद भी जारी रह सकता है।

आय में 30 हजार करोड़ की कमी

कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि राज्य के विभिन्न स्रोतों से आय में करीब 25000 से 30000 करोड़ की कमी आई है। यह नुकसान और बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि दूसरे और तीसरे दर्जे के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में 5000 बेड तैयार हैं। इसके साथ ही कम प्रभावित मरीजों के लिए दर्जा एक के कोविड इलाज केंद्रों में 10 से 15 हजार बेड तैयार किए गए हैं। यदि जरूरत पड़े तो दर्जा एक वाले बेड की संख्या 30 हजार तक बढ़ाई जा सकती है। स्थानीय स्तर के इलाज के लिए पंजाब सरकार निजी अस्पतालों से भागीदारी कर रही है।

क्या है माइक्रो कंट्रोल मैथड

कैप्टन ने बताया कि सरकार बड़े क्षेत्रों को बंद करने की बजाय छोटे मोहल्लों या गांवों के वार्डों को अलग करने की माइक्रो कंट्रोल रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें गली -मोहल्ले के स्तर पर कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे हैं। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में कामयाबी मिली है।

घर-घर सर्वेक्षण

अधिक जोखिम वाले मरीजों का जल्दी पता लगाने के लिए किसी भी संभावित केस के लिए घर-घर निगरानी की जा रही है। शुगर, टीबी, किडनी रोग, हाईपरटेंशन व दिल के रोग वाले लोगों का पता लगाने और निगरानी के लिए एक विशेष एप लॉन्च की गई है। आशा वर्कर घर-घर जाकर इनकी निगरानी कर रही हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए ‘मिशन फतेह वॉरियरÓ भी शुरू किया है।

वित्त आयोग रिपोर्ट की समीक्षा करे

कैप्टन ने कहा कि केंद्र की तरफ से राज्यों के राजस्व की कमी को पूरा करने और कोविड-19 पर खर्च संबंधी फंड के लिए तीन महीनों के लिए राजस्व ग्रांट मुहैया करवाने संबंधी उनके पहले सुझाव का नोटिस लिया जाएगा। 15वें वित्त आयोग को मौजूदा साल की अपनी रिपोर्ट की भी समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि कोविड -19 के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई है।

कमेटी करेगी कंटेनमेंट व माइक्रो कंटेनमेंट जोन की निशानदेही

कोविड-19 मामलों के ज्यादा फैलाव वाले कंटेनमेंट जोन व माइक्रो कंटेनटमेंट जोन की निशानदेही के लिए सिविल सर्जनों के नेतृत्व में जिला तकनीकी कमेटी का गठन किया गया है।  स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि ऐसे क्षेत्र जहां कोरोना वायरस के पांच या इससे अधिक मामले सामने आए हैं, उनको माइक्रो -कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा। कंटेनमेंट व माइक्रो कंटेनमेंट जोन की निशानदेही का फैसला सिविल सर्जन, जिला एपिडेमिओलॉजिस्ट, प्रशासन के एक नोडल अधिकारी, पीएसएम विभाग के एक नोडल अधिकारी, पीएसएम विभाग, मेडिकल कॉलेज के नोडल अधिकारी की कमेटी लेगी।

सेहत मंत्री बलबीर सिद्धू ने कहा, सरकारी व प्राइवेट लैब का होगा क्वालिटी ऑडिट

जिला तकनीकी कमेटी कंटेनमेंट व माइक्रो कंटेनमेंट जोन के तौर पर दर्शाए जाने वाले क्षेत्रों संबंधी फैसले के बारे में तुरंत को सूचित करेगी। इसमें कार्यकारी डायरेक्टर, एसएचएसआरसी, डायरेक्टर स्वास्थ्य सेवाएंं और राज्य नोडल अधिकारी शामिल हैं। जिला तकनीकी कमेटी स्पॉट मैपिंग, सटीक सीमाओं के साथ साथ कंनटेनमेंट जोन में आबादी दर्शाएगी। इसमें अन्य बीमारियों से पीडि़त लोगों की पहचान करना शामिल है।

ये कमेटियां क्षेत्र में तैनात की जाने वाली टीमों की संख्या के साथ-साथ एक्टिव मामलों की खोज संबंधी योजना भी बनाएंगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड-19 के टेस्ट कर रहे प्राइवेट अस्पतालों, क्लीनिकों और लैब की जांच को यकीनी बनाने के लिए नमूनों का विवरण जिले के सिविल सर्जन और इसकी एक कॉपी आइडीएसपी को भेजना जरूरी है। सिद्धू ने कहा कि सरकारी व  प्राइवेट लैबोरेटरियों का नियमित क्वालिटी ऑडिट करवाने का फैसला भी लिया गया है। इसके तहत पांच पॉजिटिव व पांच नेगेटिव नमूने पीजीआइ चंडीगढ़ भेजे जाएंगे।

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