शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को गुरुवार को मोहाली की एक अदालत ने 8 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में उनके खिलाफ दर्ज ड्रग मामले में मोहाली की एक अदालत में आत्मसमर्पण किया था। मजीठिया ने गुरुवार को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था और ड्रग मामले में नियमित जमानत के लिए आवेदन किया था।
मजीठिया ने सुबह 11.10 बजे अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नियमित जमानत के लिए आवेदन किया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 फरवरी तक मजीठिया की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। हालांकि गुरुवार को ही निचली अदालत ने मजीठिया को न्यायिक हिरासत में भेज दिया और मामले की सुनवाई शुक्रवार को तय की। मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पुलिस रिमांड की मांग नहीं की।
31 जनवरी को, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की पीठ ने मजीठिया को संबंधित निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था। मजीठिया पर 20 दिसंबर 2021 को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की धारा 25, 27 (ए) और 29 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
24 दिसंबर को मोहाली की अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया। उच्च न्यायालय ने 10 जनवरी को उन्हें 12 जनवरी को जांच में शामिल होने के लिए कहा और उन्हें अंतरिम सुरक्षा प्रदान की। इसके एक दिन बाद 20 दिन तक अंडरग्राउंड रहे मजीठिया सामने आए और जांच में शामिल हो गया।
25 जनवरी को, उच्च न्यायालय ने मजीठिया को नियमित जमानत खारिज कर दी जिसके बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। मजीठिया, जो शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के साले और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं, ने 20 फरवरी को हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ अमृतसर पूर्व क्षेत्र से शिअद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।