पंजाब में अवैध व जहरीली शराब से मौत के मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह विपक्ष के संग ‘अपनों’ के निशाने पर भी हैं। कांग्रेस के दो राज्यसभा सदस्य और एक पूर्व विधायक ने कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दोनों ने जहरीली शराब मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राज्यपाल से मिलकर पत्र भी दिया है। उन्होंने कैप्टन को हटाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मांग तक कर डाली है। उनकी बयानबाजी बढ़ने पर अब पंजाब कांग्रेस प्रधान ने बाजवा और दूलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सोनिया गांधी से सिफारिश की है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थन में सामने आए पंजाब के छह मंत्री
इससे पहले राज्य के छह से ज्यादा मंत्री अब मुख्यमंत्री के बचाव में उतर आए। कैप्टन का पक्ष लेते हुए कैबिनेट मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा ने कहा कि यह समय राजनीतिक रोटियां सेंकने का नहीं है, बल्कि सभी पार्टियों को एक मंच पर इकट्ठा होकर संयुक्त प्रयास करने का है। आपदा के समय केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा कांग्रेस विधायकों को बचाने का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तो आबकारी एवं कराधान विभाग और पुलिस के 13 अधिकारियों को निलंबित कर चुके हैैं। वहीं सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री अरूणा चौधरी ने कहा कि पंजाब पुलिस पूरे मामले को हल करने में सक्षम है। मुख्यमंत्री ने अपराधियों को कानून के घेरे में लाने का आदेश दिया है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और मंत्री भारत भूषण आशू ने भी मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
दूलों व बाजवा ने कहा- कैप्टन से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं, सीबीआई करे जांच
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे और मौजूदा राज्यसभा सदस्यों प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलों ने जहरीली शराब के मामले में अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात कर उन्होंने कहा कि यह बड़ा मामला है और इसकी सीबीआई जांच करवाई जाए।
बाजवा और दूलों ने चार पन्नों का संयुक्त पत्र राज्यपाल को सौंपकर कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जिले और उनकी पत्नी के संसदीय क्षेत्र में ही अवैध शराब की फैक्ट्रियां चल रही हैं। वह कई बार यह मामला उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री को इस बारे में लिख भी चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कोरोना के कारण लॉकडाउन में भारी मात्रा में अवैध शराब बिकी। जिससे सरकारी खजाने को 2700 करोड़ रुपए का चूना लगा। अब उसी माफिया के लालच ने 100 से ज्यादा लोगों की जान ले है।
दोनों ने आरोप लगाए कि मुख्यमंत्री को अवैध कारोबार के बारे में पूरी जानकारी है। इसलिए उनसे इस केस में निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। अवैध कारोबार का सच सामने लाने के लिए सीबीआई और ईडी से मामले की जांच करवाई जाए। बता दें कि पंजाब सरकार ने जालंधर के डिविजनल कमिश्नर राज कमल चौधरी को मामले की न्यायिक जांच करने को कहा है।