नौसेना की ताकत बढ़ाएंगे स्वदेश निर्मित सूरत, नीलगिरि और वागशीर

नौसेना जल्द ही देश में निर्मित अत्याधुनिक हथियारों से लैस दो जंगी जहाजों और डीजल-इलेक्ट्रिक चालित पनडुब्बी को अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है। इससे नौसेना की मारक क्षमता में काफी वृद्धि होगी।

अधिकारियों ने बुधवार को इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि 15 जनवरी को मुंबई में एक समारोह में इन दोनों जंगी जहाजों सूरत एवं नीलगिरि और पनडुब्बी ‘वागशीर’ को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। ये अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर्स से लैस हैं।

वारशिप में नाविकों के रहने के लिए भी पर्याप्त प्रबंध किए गए

एक बयान के अनुसार दोनों वारशिप में महिला अधिकारियों और नाविकों के रहने के लिए भी पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं। मुंबई में होने वाले ऐतिहासिक समारोह के दौरान जंगी जहाजों को नौसेना में शामिल करने से न केवल इसकी युद्धक क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि स्वदेशी जहाजों के निर्माण से देश की आत्म-निर्भरता को भी बल मिलेगा। दोनों जहाजों और पनडुब्बी को मुंबई स्थित मझगांव डाक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्मित किया गया है।

दोनों जहाजों की डिजाइन भारतीय नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार की है। आधुनिक उड्डयन सुविधाओं से लैस नीलगिरि और सूरत में उन्नत किस्म के हल्के हेलिकाप्टर चेतक, सी किंग के अलावा नौसेना में हाल ही में शामिल एमएच-60आर हेलिकाप्टरों को तैनात किया गया है।

दुनिया के सबसे घातक पनडुब्बियों में से एक वागशीर

वागशीर, स्कार्पीन श्रेणी की छठी पनडुब्बी है जो डीजल और बिजली दोनों से चलेगी। यह दुनिया के सबसे घातक पनडुब्बियों में से एक है। समुद्र से सतह पर अपने टारगेट को सटीक रूप से नष्ट करने, एंटी-शिप मिसाइल को हवा में मार गिराने, खुफिया जानकारी जुटाने और कई अन्य विशेष कार्यों को अंजाम देने के उद्देश्य से इसे विकसित किया गया है। ‘वागशीर’ हिंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी मछली है जिसके नाम पर पनडुब्बी का नामकरण किया गया है।

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