नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. नोटबंदी के बाद दावा किया गया कि इससे आतंकवाद, भ्रष्टाचार और कालेधन का देश में खात्मा हो जाएगा. 500 और 1000 के नोट बंद होने से उद्योगों को भारी झटका लगा था. कई छोटे उद्योग बंद तक हो गए. लेकिन, अब अजीम प्रेमी यूनिवर्सिटी बंग्लुरु के सेंटर ऑफर ससटेनेबल इम्प्लॉयमेंट की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नोटबंदी की वजह से 50 लाख लोगों की नौकरी छिन गई.
दोगुनी हुई बेरोजगारी दर
मंगलवार को जारी की गई स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2019 रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2016 में मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी की वजह से 50 लाख लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. वर्ष 2018 में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा बढ़कर 6 फीसदी हो गई है.
एक दशक में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ी
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान देश में बेरोजगारी की दर में लगातार इजाफा हुआ है. 2016 के बाद यह अपने शीर्ष स्तर पर पहुंच गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा असर 20 से 24 उम्र वर्ग के लोगों पर पड़ा है. इस आयु वर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है.