दुनियाभर में कोरोना ने वैसे ही बहुत हलचल कर रखी है. और इस बीच नेपाल में इन दिनों सियासी हलचल बेहद तेज़ हो गई है. वही नेपाल के पीएम केपी ओली अपनी सरकार बनाने की जुगाड़ में लगे हैं. भारत के विरुद्ध बयानबाजी की वजह से ओली अपनी ही पार्टी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में बहुत बुरी तरह से घिर गए हैं. और अब उन्ही के पार्टी के नेता उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर पार्टी समिति की कई बार बैठकें भी आयोजित करनी पड़ी हैं.
बता दे, की फिलहाल तो शुक्रवार को एक बार फिर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग समिति की बैठक को एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है. लेकिन इसी बीच नेपाल के राजनीतिक स्थिति में चीन का दखल स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है. चीन के राजदूत निरंतर नेपाल की सरकार और पार्टी नेताओं के बीच सुलह के लिए बैठकें आयोजित कर रहे है. इसको लेकर नेपाल में विरोध बढ़ गया है लेकिन केपी ओली भारत के विरुद्ध सख्त और चीन को लेकर उनकी प्रतिक्रिया बहुत नरम है.
वही इस बीच एक रिपोर्ट से मिली जानकारी में इस बात का दावा किया जा रहा है, की नेपाल को लेकर चीन की एक खास रणनीति है, जिसके तहत वह साजिश कर रहा है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि, आर्थिक रूप से कमजोर देशों के भ्रष्ट नेताओं का उपयोग कर चीन उस देश में घुसपैठ करता है और नेपाल उसी का एक उदाहरण है. रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, यह नीति चीनी कंपनियों को न केवल उस देश में अपने व्यावसायिक लाभों में बढ़ोतरी करने में सक्षम बनाता है, बल्कि साथ ही चीन को उस देश की राजनीति में दखल देने का भी मौका प्रदान करती है. रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है, कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की व्यक्तिगत संपत्ति में बीते कुछ सालों में बढ़ोतरी हुई है, जिसे उन्होंने नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के रूप में कथित रूप से विदेशों में इकट्ठा कर रखी है.