विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इससे पहले नीरव मोदी के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि उन्हें पासपोर्ट रद्द करने के संदर्भ में ई-मेल से कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। इसमें नीरव मोदी को एक सप्ताह का समय दिया था। विदेश मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि यह अवधि बीत जाने के बाद शनिवार को नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के पासपोर्ट को अवैध करार दे दिया गया।
कहां हैं नीरव मोदी?
नीरव मोदी, एमी मोदी, निशाल मोदी और मेहुल चोकसी कहा हैं, इसके बारे में विदेश मंत्रालय अब भी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं है। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि संवाद के लिए उनके पास केवल इनके ई-मेल का पता है। जिसपर मंत्रालय ने उन्हें पासपोर्ट रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा था और इसी पते पर नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को पासपोर्ट रद्द होने की सूचना दी गई है। सूत्र का कहना है कि जो सूचना पहले भेजी गई थी उसमें इसका उल्लेख था कि समय रहते पहल न करने पर सात दिन बाद नीरव और मेहुल का पासपोर्ट स्वत: रद्द हो जाएगा।
क्या होगा आगे?
सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल का कहना है कि मामला जटिल है। जांच एजेंसी अभी इस धोखाधड़ी के अपराध की जटिलता की तह में जा रही है। जांच एजेंसी यह आंकने में व्यस्त है कि धोखाधड़ी किस स्तर की है। इसमें कितने नियम तोड़े गए, कितनी जालसाजी हुई और किस तरह से बैंक के अधिकारियों ने नियम से परे जाकर सहयोग किया। शनिवार 24 फरवरी को भी पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक मेहता और कार्यकारी निदेशक ब्रह्माजी राव से पूछताछ की गई है। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के 12-13 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। दोनों से जुड़े उनके वित्त विभाग के लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। उनसे पूछताछ हो रही है।
इसी के साथ साथ जांच ऐजेंसी नीरव मोदी समेत अन्य का पता ठिकाना ढूंढने का प्रयास कर रही है। इसी तरह से प्रवर्तन निदेशालय ने भी दो बार नीरव मोदी और अन्य को सम्मन भेज चुका है। सीबीआई के लिए सबसे बड़ी जटिलता देश के बाहर के बैंक, बैंक शाखा से ली गई राशि है। उसकी जांच जहां समय लेगी वहीं परेशानी भी बढ़ाएगी। इसी के साथ-साथ जब्त किए गए दस्तावेजों, संपत्तियों, कंप्यूटर हार्ड डिस्क आदि के विश्लेषण का काम चल रहा है। इसी आधार पर जांच एजेंसियों का आरोप पत्र अपना अंतिम रूप लेगा और कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ेगी।
काफी पेंचीदा है मामला
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों केन्द्रीय जांच एजेंसियां लगातार नीरव मोदी, मेहुल चोकसी पर सहयोग करने का दबाव बना रही हैं। अभिषेक दयाल का कहना है कि नीरव, मेहुल और अन्य कहां हैं उसका भी पता लगाने की कोशिश हो रही है। उन्हें विदेश में ढूंढना, बुलाना, बाहर से लेकर आना सब समय लेगा। इसके साथ-साथ यह भी कि वह जिस देश में हैं, उसके साथ हमारी प्रत्यर्पण संधि है अथवा नहीं। यदि संधि है तो उस देश को इन्हें सौंपने का अनुरोध पत्र भेजा जाएगा। यदि वह देश इन्हें इसके बाद सुपुर्द कर देता है तो ठीक, नहीं तो जैसे विजय माल्या को लाने की पेंचीदगियां हैं, उसका भी सामना करना पड़ेगा।
तो क्या भगोड़ा घोषित होंगे?
विदेश मंत्रालय और सीबीआई सूत्रों का कहना है कि पासपोर्ट रद्द करना नागरिक के भगोड़ा हो जाने जैसा ही है। प्रवर्तन निदेशालय ने भी दो सम्मन भेजे हैं और उसका उल्लंघन हुआ है। यह भगोड़ा जैसी स्थिति है। फिर भी नीरव और मेहुल चोकसी के न आने की दशा में जांच एजेंसियों के पास मोदी और चोकसी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट निकालने, इंटरपोल को इसकी सूचना देकर मदद लेने और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया को तेज करने का विकल्प बचता है।
इस क्रम में अदालत से धोखाधड़ी के आरोपियों को भगोड़ा घोषित कराने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है, लेकिन इसमें समय लगेगा। फिलहाल अभी सरकार की जांच और सुरक्षा एजेंसियां नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, निशाल मोदी, एमी मोदी के ठिकाने का पता लगाने में जुटी हैं।