इस बीच अभियोजन पक्ष की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चारों दोषी एक साथ मिलकर कानून के साथ खेल रहे हैं, ताकि किसी भी तरह उनकी फांसी की सजा टल जाए। उन्होंने दलील दी कि शुक्रवार को पटियाला हाउस कार्ट ने दोषी विनय की याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के चलते शनिवार को दोषियों की फांसी का स्थगित कर दिया।
उन्होंने दलील दी कि इस आवेदन में ऐसा कोई भी कारण नहीं बताया गया जिसकी न्यायिक जांच की जा सके। उन्होंने कहा कि दोषियों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो जाने के बावजूद दोषी फांसी की सजा को टलवाने के लिए एक बाद एक अर्जियां दायर कर रहे हैं। उन्होंने कहा अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह जघन्य अपराध का मामला दोषियों द्वारा कानून के दुरुपयोग को लेकर इतिहास में दर्ज हो जाएगा और यह मामला कभी समाप्त नहीं होगा।
उन्होंने पीठ से कहा कि शुक्रवार को निचली अदालत ने ये मानते हुए सभी चार दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी कि इन्हें अलग- अलग फांसी नहीं दी जा सकती। याचिका में कहा गया है कि ऐसा कोई नियम या कानून नहीं है कि सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जा सकती है। ऐसे में अदालत का दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के चलते सभी दोषियों की फांसी टालने का फैसला सही नहीं है।
अदालत ने अभियोजन की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें विनय को छोड़कर बाकी तीन दोषियों को फांसी देने की मांग की गई थी। याचिका में इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उनकी दलीलें सुनकर पीठ ने तिहाड़ जेल प्रशासन और चारों दोषियों को नोटिस जारी करके मामले की सुनवाई रविवार को मुकर्रर की।