स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को किया जाता है। जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है वह सूर्योदय से लेकर अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक पानी नहीं पीता है। इसी कारण इसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने के साथ व्रत करने से लंबी उम्र के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। वहीं एकादशी के दिन स्नान दान का भी अधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानिए किन चीजों का दान करना होगा शुभ।
जल
निर्जला एकादशी के दिन पानी का काफी अधिक महत्व है। इस दिन व्रती जल ग्रहण करने का संकल्प लेता है और दूसरे दिन सूर्योदय के बाद ही जल ग्रहण करता है। इसलिए निर्जला एकादशी के दिन प्यासे लोगों को पानी पिलाने के साथ पानी का घड़ा दान देना शुभ होगा।
जूते
निर्जला एकादशी के दिन ब्राह्मणों को जूते का दान करना चाहिए। मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन जूते दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति जूते दान करता है वह सोने के विमान में बैठकर स्वर्ग जाता है।
अन्न दान
निर्जला एकादशी के दिन अन्न दान करने का भी अधिक महत्व है। इस दिन जरूरतमंद को अपनी योग्यता के अनुसार चावल, दाल, आटा आदि दान कर सकते हैं। इसके अलावा खरबूज, तरबूज, आम आदि फल भी दान करना शुभ साबित होगा।
कपड़े
निर्जला एकादशी के दिन जरूरतमंदों को कपड़े या फिर बिस्तर आदि दान कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। इससे व्यक्ति को पुण्य भी प्राप्त होगा।