वाराणसी से समाजवदी पार्टी के उम्मीदवार रहे बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। तेज बहादुर को सपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतारा था। रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को चुनाव आयोग से तेज बहुदार के नामांकन रद्द होने के मामले में उनकी शिकायतों पर गौर करने और आज कोर्ट में उसे पेश करने को कहा था। तेज बहादुर का पक्ष रखते हुए प्रशांत भूषण ने कोर्ट के एक पुराने आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि आर्दश आचार संहिता लागू होने के दौरान याचिका दायर करने पर कोई रोक नहीं है।
तेज बहादुर ने अपनी याचिका में कहा है कि उसे जान बूझकर चुनाव में उतरने से रोका जा रहा है। चुनाव अधिकारी के मुताबिक, तेज बहादुर का नामांकन इसलिए रद किया गया, क्योंकि वह जन प्रतिनिधि कानून के तहत अनिवार्य प्रमाण पत्र पेश करने में विफल रहे जिसमें यह कहा गया है कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है। वहीं इस पर तेज बहादुर का कहना है कि आयोग की तरफ से प्रमाण पत्र पेश करने के लिए उसे पर्याप्त समय नहीं दिया गया था। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि रिटर्निंग अधिकारी ने 30 अप्रैल की शाम 6 बजे नोटिस जारी कर एक मई की सुबह 11 बजे तक ये प्रमाण पत्र पेश करने को कहा। बीएसएफ के पूर्व जवान ने इस फैसले को मनमाना और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि यह सत्ता पक्ष के दल को वॉकओवर दिलाने के लिए उठाया गया है।
2017 में बीएसएफ में ड्यूटी पर रहते हुए तेज बहादुर द्वारा एक वीडियो जारी किया गया था, जिसमें वह जवानों को परोसे जाने वाले भोजन को लेकर शिकायत करते नजर आ रहे थे। इस प्रकरण के बाद ही उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। यादव ने अपने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से कोर्ट से आग्रह किया है कि निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को खारिज किया जाए और उन्हें वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए। उन्होंने दावा किया है कि पीएम मोदी के खिलाफ उनकी जीत निश्चित है, इसिलिए उनकी उम्मीदवारी को खारिज किया गया है।