नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी देश के लिए खतरा है. तुषार ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून सरकार द्वारा पहला ऐसा कानून है जो पक्षपातपूर्ण हैं. यह हमारे संविधान की भावना के विपरीत है.
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) देश में लागू हो चुका है. लेकिन इस कानून को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. देश के कई हिस्सों में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. वहीं विपक्ष लगातार इस कानून को लेकर सरकार को घेर रही है.
अब महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून देश के लिए खतरनाक है. समाचार एजेंसी के मुताबिक उन्होंने यह बात चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान कही.
तुषार गांधी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध हो रहे हैं और इस विरोध को लेकर कई लोग समाज में नफरत फैला रहे हैं. उन्होंने कहा, “सीएए और एनआरसी का विरोध करने वाले सभी लोगों को मुस्लिम या मुस्लिम समर्थक मान लिया जाता है और इसके नाम पर नफरत फैलाई जा रही है. सीएए सरकार द्वारा लाया गया पक्षपातपूर्ण कानून है. यह भारत के संविधान के खिलाफ है.”
उन्होंने कहा है कि इन दोनों कानून से अमीर लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जबकि सुदूर इलाकों और गांव में रहने वाले गरीब लोग इससे प्रभावित होंगे. इन लोगों को सरकारी अधिकारियों के सामने अपने आप को साबित करना होगा. ऐसे में इनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा कौन करेगा.
तुषार गांधी ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि वे इस कानूने का विरोध करने वाले सभी को मुस्लिम बता रहे हैं और कह रहे हैं कि मुस्लिम इस कानून के खिलाफ हैं. उन्होंने विरोध को सीधा हिंदू बनाम मुस्लिम बना दिया है. हमलोंगों को इस पर सोचने की जरूरत है और हमें इस तरह की चीजों का विरोध करना चाहिए.
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यूपी के चन्दौली से ऐलान किया कि नागरिकता संशोधन कानून पर उनकी सरकार कायम रहेगी तो दूसरी तरफ तेलंगाना सरकार ने इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास करने का निर्णय ले लिया . इस तरह सीएए के खिलाफ देश का छठा राज्य उतर आया.
रविवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें CAA के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया. इसके अलावा बैठक के माध्यम से तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से इस कानून को खत्म करने की अपील की. तेलंगाना से पहले मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब और राजस्थान सरकार भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी हैं. इस कड़ी में अब छठा नाम तेलंगाना का जुड़ गया है.