गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स) का आपस में कोई लेना-देना नहीं है. वहीं नागरिकता संसोधन कानून को लेकर उन्होंने कहा कि इसके तहत किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान ही नहीं है बल्कि ये तो नागरिकता देने का प्रावधान है. न्यूज एजेंसी एएनआई को उन्होंने मंगलवार को इंटरव्यू दिया. इसमें उन्होंने सभी मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की. यहां उनका पूरा इंटरव्यू पढ़ें.
NPR और NRC में क्या अंतर है?
अमित शाह ने कहा कि NPR जनसंख्या का रजिस्टर है. ये पॉपुलेशन रजिस्टर है. इसमें जो भी रहते हैं उनके नाम रजिस्टर किए जाते हैं. इसके आधार पर देश की अलग-अलग योजनाओं का आकार बनता है. एनआरसी में लोगों से दस्तावेज मांगे जाते हैं कि आप बताएं कि किस आधार पर आप देश के नागरिक हैं. इन दोनों प्रक्रिया का कोई लेन देन नहीं है. न ही दोनों प्रक्रिया का एक दूसरे के सर्वे में कोई उपयोग हो सकता है. एनपीआर के लिए जो अभी प्रकिया चलेगी उसका कभी भी एनआरसी के लिए उपयोग नहीं हो सकता. दोनों कानून भी अलग हैं. अमित शाह ने कहा कि एनपीआर को कोई भी डेटा एनआरसी के उपयोग में आ ही नहीं सकता क्योंकि ये अलग प्रक्रिया है.
एनपीआर में इस बार क्या नया है?
अमित शाह ने कहा, ”एक दो चीजें नई हैं. घर का एरिया क्या है, घर में पशु कितने हैं…इस प्रकार की कुछ चीजें नई हैं. जिसके आधार पर राष्ट्र की सारी योजनाओं का खाका बन जाए.” इस प्रकार के सर्वे अगर नहीं हुए होते तो हम आज देश में हर गरीब के घर में गैस नहीं पहुंचा पाते. जो लोग इसको लेकर अप्रचार कर रहे हैं वो गरीबों और माइनॉरिटी का नुकसान कर रहे हैं.
ओवैसी के बयान पर क्या बोले अमित शाह?
अमित शाह ने कहा कि अगर हम कहेंगे कि सूरज पूरब से उगता है तो ओवैसी कहेंगे कि पश्चिम से उगता है. ये उनका स्टैंड होता है. अमित शाह ने कहा, ”मैं गृहमंत्री होने के नाते ओवैसी साहब को ये आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसका एनआरसी की प्रक्रिया से कोई लेन देन नहीं है. ये बहुत अलग प्रकार की प्रक्रिया है.” दरअसल ओवैसी ने कहा है कि एनपीआर, एनआरसी का दूसरा नाम है. इसे दूसरे नाम से लाया जा रहा है.
अल्पसंख्यकों को लेकर क्या बोले अमित शाह?
अमित शाह ने कहा कि डरा-डरा कर ही माइनॉरिटी को अबतक फायदों से दूर रखा गया. लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद उन्हें गैस, घर, शौचलय और हेल्थ कार्ड मिला है. कुछ विपक्षी दल इसका (एनपीआर) इसलिए विरोध कर रहे हैं कि ताकि अभी भी उन्हें ये फायदा न मिले.
एनपीआर की क्या जरूरत है?
अमित शाह से सवाल किया गया कि जब साल 2015 में सेंसेस अपडेट हो गया तो अभी इसे लाने की क्या जरूरत है. इस पर अमित शाह ने कहा कि 2015 में इसे पायलट लेवल पर अपडेट किया गया था. ये दस साल में की जाने वाली प्रकिया है. इस बीच देश में रहने वाली जनसंख्या में बड़ा उथल पुथल होता है. जनगणना भी दस साल में होती है. 2010 में यूपीएम ने यही (एनपीआर) एक्सरसाइज किया. किसी ने सवाल नहीं उठाया. वो करते हैं तो कुछ नहीं हम करते हैं तो प्रॉब्लम है?
NPR लाने की टाइमिंग के सवाल पर
अमित शाह से सवाल किया गया कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर छात्रों से लेकर वकील तक प्रदर्शन कर रहे हैं. लोगों के मन में घबराहट है. इसके बीच में एनपीआर ला रहे हैं. टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहा है. इस पर अमित शाह ने कहा कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट में किसी की भी नागरिकता लेने का कोई प्रोविजन नहीं है. ये नागरिकता देने का प्रोविजन है. इस देश में रहने वाले जितने भी मुसलमान हैं किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर जनता के मन से भय दूर हो रहा है तो कुछ लोग अब पीआर का भय खड़ा करना चाहते हैं.
बंगाल और केरल सरकार के बयान पर
पश्चिम बंगाल और केरल की सरकार ने एनपीआर को मना कर दिया है. इसपर अमित शाह ने कहा कि वे दोनों मुख्यमंत्रियों से कहना चाहते हैं कि विनम्र निवेदन है कि इस प्रकार का कदम न उठाएं. वे इस पर पुन: विचार करें. ये बंगाल और केरल की गरीब जनता के कल्याण के लिए बनाए जाने वाले कार्यक्रमों का आधार है. राजनीति के लिए गरीब जनता को डेवलपमेंट प्रोग्राम के बाहर मत रखिए. इनको जोड़ दीजिए.
क्या सरकार की तरफ से कम्युनिकेशन में कोई खामी रही?
अमित शाह से पूछा गया कि एक सप्ताह तक देश में इतने प्रदर्शन हुए. कुछ हिंसक हुए. क्या सरकार की तरफ से कम्यूनिकेशन में कुछ खामी रही. इसके जवाब में अमित शाह ने कहा, ”देखिए कुछ तो खामी रही होगी. मुझे स्वीकारने में कोई तकलीफ नहीं है. परंतु पार्लियामेंट का मेरा भाषण उठाकर देख लीजिए जिसमें मैंने सारी स्पष्टता की है कि इससे किसी भी अल्पसंख्यक की नागिरकता नहीं जाएगी. किसी की नागरिकता जाने का सवाल नहीं है. क्योंकि इस बिल में किसी की नागिरकता लेने का कोई प्रावधान ही नहीं है. ” अमित शाह ने कहा कि जब तक सच बात लोगों तक पहुंची तब तक थोड़ी हिंसा जरूर हुई. मगर रिपीटेड हिंसा कहीं पर नहीं हुई. वास्तविक स्थिति को समझाने का हम भी प्रयास कर रहे हैं.
कांग्रेस के बनाए कानून के अंतर्गत हो रही है NPR की एक्सरसाइज
अमित शाह ने कहा कि ये पूरी एक्सरसाइज (एनपीआर) कांग्रेस के बनाए कानून के अंतर्गत ही हो रही है. कांग्रेस ये पूरी एक्सरसाइज 2011 के अंदर कर चुकी है. कार्ड भी बांटे हैं. हम वही एक्सरसाइज करने जा रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस बहकावे में न आएं कि एनआरसी और एनपीआर एक ही एक्सरसाइज है. एनपीआर की एक्सरसाइज या जनगणना का एनआरसी से दूर दूर तक कोई लेन देने नहीं है. न ही इसके डेटा का एनआरसी के लिए उपयोग होने वाला है.
क्या NPR में आधार की जानकारी देनी होगी?
पिछली बार जब एनपीआर हुआ तो आधार नहीं था. क्या इस बार लोगों को आधार की जानकारी देनी होगी. इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि जब आपके पास आधार का नंबर है तो देने में क्या हर्ज है. इसको लेकर एक एप भी बनाया है जो मुफ्त है. इसे डाउनलोड कर हर नागरिकर भर कर भेज सकते हैं. जब एनपीआर के अधिकारी आएंगे तो बस टिक मार कर दस मिनट में सारा काम हो जाएगा. जो इनफॉर्मेशन आप देंगे सरकार उसका रजिस्टर बनाएगी. संभव है कि NPR में कुछ नाम छूट जाएं, फिर भी उनकी नागरिकता रद्द नहीं की जाएगी क्योंकि यह NRC की प्रक्रिया नहीं है.
फरवरी 2021 में जनगणना और एनपीआर की प्रक्रिया शुरू होगी
जनगणना अभी नहीं होने वाली है. 2020 के अप्रैल में तो मकानों की मैपिंग चालू होगी, ये 2021 में होने वाली है. जनगणना 2011 में हुई थी इसलिए संवैधानिक प्रोविजन के हिसाब से 10 साल बाद 2021 में होने जरूरी है. 2021 के फरवरी में असली जनगणना और एनपीआर की प्रक्रिया शुरू होगी.
डिटेंशन सेंटर पर क्या बोले अमित शाह
क्या डिटेंशन सेंटर बन रहे हैं, जो नागरिकता नहीं साबित कर पाएंगे क्या लोगों को इसमें डाला जाएगा. इस पर गृहमंत्री ने कहा कि ये जो डिटेंशन सेंटर बने हैं वो लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. इस देश में ऐसा नहीं है कि कोई भी नागरिक घुस कर यहां रह सकता है. इस देश का एक कानून है. एक किसी देश का एक नागिरक पकड़ा जाता है जिसके पास वीजा-पासपोर्ट नहीं है तो उसे पकड़कर डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है. बाद में उसे वापस भेजने की प्रक्रिया होती है. डिटेंशन सेंटर और एनआरसी का कोई लेना देना नहीं है. अमित शाह ने कहा कि असम के अंदर एक डिटेंशन सेंटर बना हुआ है और वो सालो से है. कोई भी डिटेंशन सेंटर मोदी सरकार के आने के बाद नहीं बना है.