17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही हैं। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां नव दुर्गा के नौ स्वरूपों की वंदना होती है। इस वक़्त मां के भक्त माता रानी कि कृपा पाने के लिए नौ दिनों तक फलाहारी व्रत करते हैं। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, यदि नवरात्रि के दौरान भक्त मां नव दुर्गा के नौ स्वरूपों के हिसाब से अलग-अलग दिन अलग-अलग मंत्रों का जाप करें तो माता रानी उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
नवरात्रि की प्रतिपदा मतलब कि प्रथम दिन माता शैलपुत्री की वंदना होती है। माता शैलपुत्री धन-धान्य-ऐश्वर्य, सौभाग्य-आरोग्य और मोक्ष की देवी मानी जाती हैं।
माता शैलपुत्री का मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।
माता ब्रह्मचारिणी : संयम, तप, वैराग्य तथा विजय की देवी मानी जाती हैं । उनका मंत्र है मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।
माता चन्द्रघंटा : माता चन्द्रघंटा की पूजा से दुखों, कष्टों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है। इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।
माता कूष्मांडा : रोग, दोष, शोक का नाश करने वाली तथा यश, बल व आयु की वृद्धि करनी वाली देवी हैं। इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।
माता स्कंदमाता : सुख-शांति व मोक्ष प्रदान करने वाली हैं । इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।
माता कात्यायनी : भय, रोग, शोक-संतापों से मुक्ति तथा मोक्ष दिलाने वाली हैं। इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।
माता कालरात्रि : माता कालरात्रि शत्रुओं का नाश, बाधा दूर कर सुख-शांति प्रदान कर मोक्ष देने वाली मानी जाती हैं । इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।
माता महागौरी : माता महागौरी की पूजा साधक अलौकिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए करते हैं। इनका मंत्र है – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।
माता सिद्धिदात्री : नवरात्रि के अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना की जाती हैं। माता सिद्धिदात्री सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली मानी जाती हैं । इनका मंत्र है – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।