आईफोन के चाहने वाले भारत के साथ-साथ दुनिया भर में है। ऐसे में कंपनी भी अपने कस्टमर्स को बेहतरीन एक्सपीरियंस देने के लिए लगातार प्रयासरत रहती है। मगर क्या आप जानते हैं कि कोई भी नया आईफोन लॉन्च करने से पहले कपंनी 10000 यूनिट पर ड्यूरेबिलिटी टेस्टिंग करती है। कंपनी ने इसके लिए कुछ मानक निर्धारित किए है।
जैसा कि हम जानते हैं कि टेक दिग्गज Apple ने लॉन्च इवेंट में अपने Apple iPhone की ड्यूरेबिलिटी की तारीफ की। इस साल, कंपनी ने IP68-रेटेड iPhone 15 Pro मॉडल पर सिरेमिक शील्ड के साथ टाइटेनियम फ्रेम पेश किया। मगर सवाल यह उठता है कि Apple यह कैसे सुनिश्चित करता है कि प्रोडक्ट कंपनी के मापदंड़ो से मेल खाता है? आइये इसके बारे में जानते हैं।
कैसे टेस्टिंग करता है Apple ?
टेक कंटेंट क्रिएटर मार्केस ब्राउनली ने Apple लैब से अपने अनुभव और कैसे Apple किसी iPhone की ड्यूरेबिलिटी की जांच करता है- इस टॉपिक को लेकर एक वीडयो साझा किया है।
इसके साथ ही इस वीडयों के थ्रेड में कई वीडियो शामिल थे, जिसमें बताया गया कि कैसे एक iPhone की पानी की रेटिंग को परिस्थितियों में IPX4 से IPX8 के स्तरों पर परखा जाता है।
इसके साथ ही थर्मल परीक्षण के साथ Apple अपने डिवाइस को परीक्षण के चरम पर ले जाता है।
10000 ये ज्यादा मॉडल की टेस्टिंग
इन वीडियो में बताया गया इस तरह की एक्ट्रीम टेस्टिंग के लिए मॉडल की शिपिंग से पहले Apple 10,000 से ज़्यादा iPhone का परीक्षण कर सकता है।
इसके साथ ही MKBD ने Apple में हार्डवेयर इंजीनियरिंग के प्रमुख जॉन टर्नस के साथ भी बात की। इसी बातचीत के दौरान ये बात सामने आई क Apple किसी खास मॉडल के 10,000 से ज़्यादा प्री-रिलीज iPhone का शिपिंग से पहले परीक्षण कर सकता है।
Apple के अनुसार iPhone 15 Pro मॉडल पर Apple ने ‘एयरोस्पेस-ग्रेड टाइटेनियम डिजeइन का उपयोग किया है, जिसमें उसी एलॉय मेटल का उपयोग किया गया है, जिसका उपयोग अंतरिक्ष यान मंगल मिशन के लिए करते हैं।