ननकाना साहिब दर्शन के लिए जा रहे श्रद्धालुओं को पाकिस्तान ने वाघा से लौटाया

अमृतसर: श्री गुरु नानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान जा रहे जत्थे में शामिल नानक नामलेवा 12 हिंदू श्रद्धालुओं को पाकिस्तान कस्टम व इमिग्रेशन के अधिकारियों ने वाघा बॉर्डर से वापस भेज दिया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि प्रकाशोत्सव मनाने केवल सिख ही जा सकते हैं। हिंदू तीर्थयात्रियों को सिख जत्थे के साथ जाने की अनुमति नहीं है। इन तीर्थयात्रियों को कई घंटों तक पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर स्टेशन पर रखा गया और बाद लौटने को कहा गया।

पाकिस्तानी अफसरों के इस रवैये से हिंदू संगठनों में भारी रोष है। उनका कहना है कि पाकिस्तान हिंदुओं और सिखों के भाईचारे में दरार पैदा करने की कोशिश कर रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे पहले हमेशा गुरुधामों में दर्शनों के लिए जाने वाले जत्थों में नानक नामलेवा हिंदू व सिख संयुक्त रूप से जाते रहे हैं। जत्था रवाना होने से कई दिन पहले वीजा जारी हो जाता है।

हिंदू परिवारों के 12 सदस्य 5 नवंबर को जत्थे में शामिल होकर पाकिस्तान जा रहे थे। ये 12 श्रद्धालु अंतरराष्ट्रीय अटारी-वाघा सीमा मार्ग से पाकिस्तान जा रहे 1942 श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल थे। जत्थे में शामिल 55 वर्षीय अमीर चंद ने दुखी मन से कहा कि परिवार के सदस्य बहुत खुश थे कि उनकी श्री ननकाना साहिब जाने की हसरत पूरी हो रही है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान कस्टम व इमिग्रेशन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा था कि श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव मनाने के लिए केवल सिख ही जा सकते हैं। हिंदू तीर्थयात्रियों को सिख जत्थे के साथ जाने की अनुमति नहीं है। इससे उन्हें बहुत निराशा हाथ लगी।

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा पर स्थित इंटेग्रेटिड चेक पोस्ट पर तैनात भारतीय इमिग्रेशन एवं सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने हिंदू तीर्थयात्रियों को प्राथमिकता से मंजूरी दी ताकि वे अपने परिवारों के साथ समय पर गंतव्य तक पहुंच सकें।

फूट डालने का प्रयास

श्री दुर्ग्याणा तीर्थ कमेटी की प्रधान व पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब व अन्य गुरुद्वारों के दर्शनों के लिए न जाने देना भारत में लोगों में फूट डालने का घृणित प्रयास है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि इस बात का गंभीर नोटिस ले और उचित कार्रवाई करे। पूरा देश श्री हरिमंदिर के दर्शन करने आता है और सभी सिख हिंदुस्तान के सभी बड़े मंदिरों में श्रद्धा से माथा टेकते हैं। पाकिस्तान को यह छूट नहीं दी जा सकती कि वह भारत से गए हिंदू श्रद्धालुओं को गुरु घर के दर्शन करने न जाने दे। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज्ज भी पाकिस्तान पहुंचे हैं। उनसे आशा है कि वे इस अन्याय को रोकते और पाकिस्तान की चाल का मुंह तोड़ जवाब देंगे।

श्रद्धालुओं को रोकना साझा विरासत का अपमान

भारतीय जनता पार्टी के पंजाब के प्रवक्ता प्रो. सरचांद सिंह ने हिंदू श्रद्धालुओं को वाघा बॉर्डर पर रोके जाने की घटना को निंदनीय, दुखद और गुरु मर्यादा के विपरीत कदम बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से सिख जत्थे के साथ जाने वाले हिंदू श्रद्धालुओं को सीमा पार करने से रोकना धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। जिन हिंदू श्रद्धालुओं के पासपोर्ट पर हिंदू स्पष्ट रूप से दर्ज था और जिन्हें वीजा जारी किया जा चुका था, उन्हें आखिरी पल पर वाघा बॉर्डर पर रोकना धार्मिक भेदभाव और नफरत की शर्मनाक मिसाल है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से सिख–हिंदू एकता को कमजोर करने की नई साजिश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस तरह का भेदभाव भविष्य में करतारपुर कॉरिडोर या अन्य सिख तीर्थ यात्राओं के दौरान दोहराया गया तो यह बर्दाश्त नहीं होगा।

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