दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2010 के धौलाकुआं गैंगरेप कांड के सभी आरोपियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है. इससे पहले अक्टूबर 2014 में दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने मामले में पांचों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. निचली अदालत ने इन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति पीएस तेजी की पीठ ने पांचों दोषियों की अपील को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि मामले में न सिर्फ पीड़िता की गवाही पर्याप्त थी, बल्कि उसके साथ रहे दोस्त और उसके नियोक्ता ने भी उसके बयान की पुष्टि की. वहीं, मामले में सभी दोषी अपनी अपील के समर्थन में कोई ठोस आधार नहीं पेश कर पाए.
पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने साबित किया था कि 23-24 नवंबर 2010 की दरमियानी रात को पांच लोगों ने दक्षिण दिल्ली के मोती बाग इलाके में शर्मा ऑटोमोबाइल्स के पास से पीड़िता का अपहरण किया था और उसे एक पिक-अप वाहन में ले जाकर चलती गाड़ी में उसके साथ दुष्कर्म किया था.
मामले में दोषी उस्मान उर्फ काले, शमशाद उर्फ खुटकन, शाहिद उर्फ छोटा बिल्ली, इकबाल उर्फ बड़ा बिल्ली और कमरुद्दीन उर्फ मोबाइल ने द्वारका कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. अदालत ने सभी दोषियों की उम्रकैद की सजा को कम करने की भी अपील ठुकरा दी. ये सभी दोषी हरियाणा के मेवात के रहने वाले हैं.
इन्होंने साल 2010 में धौलाकुआं में पूर्वोत्तर मिजोरम की रहने वाली 30 वर्षीय युवती के साथ गैंगरेप किया था. पीड़िता एक बीपीओ कंपनी में काम करती है. इस घटना के वक्त पीड़िता का दोस्त भी उसके साथ मौजूद था.
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