रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट आगामी शीतकाल के छह महीनो के लिए बंद हो गए हैं। सोमवार सुबह आठ बजे वृश्चिक लग्न में कपाट बंद किए गए। मुख्य पुजारी शिवलिंग ने पूजा-अर्चना के बाद भगवान के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप देकर कपाट बंद किए।
तय कार्यक्रम के तहत सुबह तड़के से मुख्य पुजारी शिवलिंग ने पूजा अर्चना के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई। उत्सव डोली को सजाया गया। सात बजकर 45 मिनट पर डोली को मंदिर से बाहर लाया गया। ठीक आठ बजे सुबह मुख्य कपाट सील बंद कर दिए गए। डोली ने मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद डोली अपने प्रथम पडाव गौंडार के लिए भक्तों के साथ रवाना हुई।
भगवान मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली यात्रा के पहले दिन गौंडार में रात्रि विश्राम किया। 23 नवंबर को द्वितीय पड़ाव रांसी पहुंचेगी। 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी और 25 नवंबर को चल विग्रह डोली शीतकालीकन गद्दीस्थ ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पहुंचेगी। आगामी शीतकाल के छह महीनों के लिए यहां विराजमान हो जाएगी। और मद्महेश्वर भगवान की नित पूजाएं यहीं पर संपन्न होंगी। आने वाले छह महीनों तक भक्त यहीं पर मद्महेश्वर भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
ओंकोरश्वर मंदिर में अब भक्त एक साथ पंचकेदारों के दर्शन कर सकते हैं। डोली के आगमन पर ओंकारेश्वर मंदिर में भव्य मेले के आयोजन की परंपरा है। डोली के स्वागत में मेले का आयोजन किया जाता है। सभी भक्त डोली के आगमन पर उत्सव डोली का स्वागत करते हैं।इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मद्महेश्वर डोली यात्रा प्रभारी पारेश्वर त्रिवेदी, समालिया मृत्यंजय हीरेमठ सहित गौंडार ग्राम के ग्रामीण, तहसील प्रशासन, वनविभाग के कर्मचारी मौजूद रहे।