समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बीते दिन ऐलान करते हुए कहा था कि भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन आने के बाद भी वो टीका नहीं लगवाएंगे. उनके इस बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया. इसके बाद उन्होंने रविवार को COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम को एक “संवेदनशील प्रक्रिया” बताया. साथ ही साथ सरकार से मांग की कि इसकी ठोस व्यवस्था करने के बाद ही शुरू करना चाहिए.
अखिलेश यादव का कहना है कि COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम एक “संवेदनशील प्रक्रिया” है. सरकार को इसे ” सजावटी-दिखावटी” कार्यक्रम नहीं मानना चाहिए और ठोस व्यवस्था करने के बाद ही इसे शुरू करना चाहिए. इससे पहले उन्होंने कहा था कि बीजेपी की वैक्सीन पर उनको भरोसा नहीं है. ये टीका तो बीजेपी वालों का है. मैं इस पर कैसे विश्वास कर सकता हूं, 2022 में जब हमारी सरकार आएगी तो सबको फ्री कोरोना वैक्सीन मिलेगी. हम बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवाएंगे.
अखिलेश यादव ने कहा था कि देश मे कोरोना वायरस का संक्रमण कहीं पर भी नहीं है. बीजेपी ने तो सिर्फ विपक्ष को डराने के लिए इसका भय फैलाया है. मैं तो बिना मास्क के सबके साथ बैठा हूं. आप सब लोग ही बता दो कोरोना कहां है? बीजेपी का फैलाया गया कोरोना का संक्रमण तो केवल विपक्ष के लिए है, जिससे कि कोरोना के नाम पर विपक्ष प्रदेश और देश में कोई कार्यक्रम न कर सके. लॉकडाउन के दौरान तो बीजेपी इसे थाली बजाकर दूर कर रही थी. फिर अब ड्राई रन की क्या जरूरत है?
अखिलेश यादव के बयान पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि अखिलेश विश्व के वैज्ञानिकों के साथ-साथ चिकित्सकों के प्रयास पर सवाल उठा रहे हैं. इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए. कोरोना वैक्सीन को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बेहद ही बचकाना बयान दिया है. विश्व के नामचीन वैज्ञानिक और चिकित्सक वैश्विक महामारी को परास्त करने में लगे हैं. दवाओं पर शोध हो रहा है, जबकि वैक्सीन भी तैयार कर ली गई है. ऐसे में अखिलेश यादव बयान दे रहे हैं कि मैं बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा. उनको ऐसे बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए.
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