अब देश में गरीबी आपकी आय से नहीं बल्कि रहन-सहन के स्तर से तय की जाएगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक वर्किंग पेपर ने भविष्य में गरीबी का पैमाना तय करने के लिए पुरानी परिभाषा में कुछ बदलाव किए हैं। नए पेपर के मुताबिक अब किसी व्यक्ति का जीवन स्तर उसके गरीब होने का प्रमाण बनेगा।

इसमें आपके जीवन स्तर का पैमाना मुख्य तौर पर आवास, शिक्षा और स्वच्छता जैसी सुविधाएं बनेंगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक पेपर जारी किया है कि जिसमें गरीबी रेखा को लेकर कई टिप्पणियां की गई हैं। पेपर में बताया गया है कि कोरोना वायरस महामारी ने कुछ जरूरी चीजों को मुख्य तौर पर रेखांकित किया है।
इनमें स्वास्थ्य की गुणवत्ता, शिक्षा और जागरुकता, पानी और स्वच्छता की सुविधा, पर्याप्त पोषण और रहने की जगहों की आवश्यकता जहां सामाजिक दूरी यानि कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सकता है। आरडी विभाग के प्रमुख आर्थिक सलाहकार सीमा गौड़ और एन श्रीनिवास राव की ओर से लिखे गए अकादमिक पेपर में दशकों से फैली गरीबी को मापने के इतिहास का पता लगाते हैं।
हालांकि यह पेपर इस नतीजे पर पहुंचता है कि, नीति निर्माताओं के लिए एक गरीबी रेखा जरूरी नंबर है। ऐसा करने से उन्हें विकास के मुद्दों और नीतियों को बनाने में काफी मदद मिलती है। पेपर में वर्ल्ड बैंक ने भारत को निम्न मध्यम आय वर्ग वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसका प्रति दिन की कमाई 75 रुपये है। ये वर्तमान में भारत के आंकड़े की तुलना में ज्यादा है।
पेपर में कहा गया है कि आठ फीसदी की औसत सालाना जीडीपी वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए नौकरियों का निर्माण करके गरीबी पर हमला करने की रणनीति महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
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