देश के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार शनिवार को अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए. रविश कुमार को वहां ‘इंडिया कॉन्फ्रेंस 2018’ में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था. रविश कुमार ने अपनी लम्बी स्पीच में छात्रों को सम्बोधित किया, साथ ही भारत के मौजूदा हालात और लोकतंत्र पर बोलते हुए, रविश कुमार ने सिस्टम पर तंज कसे, इतिहास के बारे में बात करते हुए रविश कुमार ने साम्प्रदायिकता फैलाने वाले भेड़चाल युवाओं पर भी तंज कसे. रविश कुमार ने भाषण शुरू करने से पहले अपने सम्बोधन में सभी को सूचित कर दिया था कि, मैं आज जो बोलने जा रहा हूँ वो गवर्मेंट ऑफ़ मीडिया के बारे में है, आप इसे गवर्मेंट ऑफ़ इंडिया ना समझे, दोनों में अंतर है. मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि, ताकि किसी को बुरा न लगे कि मैंने विदेश में जाकर भारत सरकार बुराई की. इससे पहले रविश कुमार ने सभी का शुक्रिया करते हुए कहा कि “इतनी दूर से बुलाया वो भी सुनने के लिए जब कोई किसी की नहीं सुन रहा है. इंटरव्यू की विश्वसनीयता इतनी गिर चुकी है कि अब सिर्फ स्पीच और स्टैंडअप कॉमेडी का ही सहारा रह गया है”
रविश कुमार ने हाल ही में उन सब मामलो पर अपनी राय रखी जिसे देश का मीडिया बताने से डरता है. देश का इतिहास पहले अनेकता में एकता था, यही हमारा संविधान हमे सिखाता है, लेकिन आज इसका मतलब बदलकर देश के गौरव को धर्म के गौरव से देखते है. लोग इतिहास को एक फिर बार हिन्दू मुस्लिम झगड़ों की नजर से देखने लगे है, दुःख होता है हम देश को कहाँ ले जाना चाहते है. उदयपुर में संविधान की धज्जियाँ उड़ाते हुए एक नौजवान कोर्ट की छत पर भगवा झंडा लगा देता है और मीडिया चुप रहता है. एक तरफ जहाँ देश का मीडिया कई महीनों तक एक फिल्म पर बहस करता है, इतनी बहस हमने देश की गरीबी पर नहीं की, भारत की संभावनाओं पर नहीं की, तलवारें लेकर लोग स्टुडियो में आ गए, अब किसी दिन बंदूकें लेकर आएंगे.