‘देश के अलग-अलग हिस्सों में चरम पर पहुंचेगा कोविड-19 संक्रमण,

पूरी दुनिया कोरोना की वैश्विक महामारी झेल रही है। भारत में अभी इसका ज्यादा असर देखा रहा है। इसलिए पहले की तुलना में मामले ज्यादा बढ़ते दिख रहे हैं लेकिन यदि इस देश की विशालकाय जनसंख्या को देखें तो दूसरे कई देशों के मुकाबले हम बेहतर स्थिति में है। यही वजह है कि प्रतिदिन बड़ी संख्या में कोरोना के नए मामले आने के बावजूद देश में कोई कोहराम की स्थिति नहीं है। शुरुआती दौर में कई जगहों पर मरीजों को समय पर अस्पताल में दाखिला नहीं मिल पाने की परेशानी व मृत्यु दर अधिक होने समस्या देखी जा रही थी लेकिन उचित समय पर केंद्र व राज्य सरकारों ने मिलकर कमियों को दूर करने की कोशिश की। अस्थाई अस्पताल शुरू किए गए। जांचें भी बढ़ाई गई। जगह-जगह सीरो सर्वे भी कराए जा रहे हैं। सरकार को जो भी करना था, उसने पुख्ता तैयारी की। इससे हालत थोड़े सहज दिख रहे हैं लेकिन अब लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। तभी कारोना के खिलाफ देश जंग जीत पाएगा।

कोरोना का संक्रमण जब शुरू हुआ तो भारत को लेकर कई तरह के आकलन आ रहे थे। यह भी कहा गया कि भारत में संक्रमण हुआ तो स्थिति संभल नहीं पाएगी। लेकिन उचित समय पर लॉकडाउन के फैसले से हर अनुमान गलत साबित होते चले गए। लॉकडाउन के कारण देश में कोरोना का संक्रमण धीरे-धीरे फैला। इससे सरकार को जांच बढ़ाने व इलाज की तैयारियों के लिए समय मिला। यदि जांच व इलाज की तैयारियां ठीक नहीं होती तो हालत ज्यादा खराब होते। क्योंकि अब कोरोना बहुत ज्यादा फैल चुका है। देश में प्रतिदिन 70 हजार से 75 हजार मामले आ रहे हैं। पीड़ितों की संख्या करीब 34 लाख के आसपास पहुंच गई है। इस बीमारी की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या 61 हजार से अधिक हो गई है। यह आंकड़ा कोई कम नहीं है। सरकार अभी भी जांच और बढ़ाने का भरपूर प्रयास कर रही है। इसलिए आने वाले दिनों में प्रतिदिन एक लाख तक मामले आ सकते हैं। तब हम कहां होंगे, यह सबको सोचना पड़ेगा। दिल्ली, मुंबई व चेन्नई में संक्रमण चरम पर पहुंचा।

इसके बाद दिल्ली व मुंबई में मामलों में कमी आई। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समय पर संक्रमण चरम पर पहुंचेगा। इससे भी स्थिति  नियंत्रित करने में मदद मिली है। यदि पूरे देश में एक साथ संक्रमण चरम पर पहुंचता तो मुश्किलें बढ़ सकती थी। शुरुआत में मृत्यु दर तीन फीसद के आसपास थी लेकिन सुविधाओं में सुधार व बीमारी के बारे में डॉक्टरों में समझ बढ़ने से इलाज बेहतर हुआ है। इससे मृत्यु दर अब दो फीसद से नीचे हैं। बाकी देशों के मुकाबले काफी कम है। देश की आबादी को देखते हुए बड़ी राहत की बात है।मरीजों के ठीक होने की दर भी 76 फीसद से अधिक पहुंच गई है। यह सब सकारात्मक संकेत है लेकिन आने वाले समय में इस स्थिति को बरकरार रखना चुनौती पूर्ण होगा।

ऐसा इसलिए, क्योंकि लोग शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। मास्क भी नहीं पहन रहे हैं। यदि लोग शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं करेंगे, मास्क नहीं लगाएंगे तो मुश्किलें बढ़ सकती है। यह अच्छी बात है कि लोगों के मन में अब पहले जैसा डर नहीं है। लोग घरों से बाहर कामकाज के लिए निकलने लगें हैं। लेकिन लापरवाही भी ठीक नहीं है। यह देखा जा रहा है कि मास्क ज्यादातर लोगों के गले में या नाक के नीचे लटक रहा होता है। क्योंकि लोग यह नहीं समझ रहे हैं कि यह सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है। बल्कि अपने और दूसरों के बचाव के लिए मास्क पहनना जरूरी है। लोग शहरों में ऐसे घुम रहे हैं जैसे कोरोना नाम की महामारी अब है ही नहीं। इस कारण लॉकडाउन का जो फायदा देश को मिला था वह खत्म होता दिख रहा है।

सरकार अब लॉकडाउन भी नहीं कर सकती। क्योंकि लॉकडाउन से र्आिथक नुकसान होगा। सरकार प्रतिदिन आठ लाख से अधिक सैंपल की जांच की व्यवस्था कर चुकी है। कुछ दिनों में प्रतिदिन 10 लाख सैंपल जांच होने लगेंगे। लेकिन लोगों को यह समझना होगा कि इस बीमारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता। बचाव के पूरे उपाए अपनाने होंगे। कम से कम टीका आने तक तो यह उपाय जरूरी है।

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