सबसे ज्यादा किसी राज्य की चर्चा है तो वो है पश्चिम बंगाल. इस चुनाव में पश्चिम बंगाल राजनीतिक लड़ाई का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुका है जिसमे एक तरफ बंगाल की ‘दीदी’ कहलाने वाली सीएम ममता बनर्जी हैं तो दूसरी तरफ पीएम मोदी और शाह की जोड़ी दांव खेल रही है. ‘दीदी’ के गढ़ में कमल खिलाने के लिए बीजेपी जीतोड़ कोशिश और राजनीतिक संघर्ष कर रही है. लेकिन यहां बीजेपी को अपने संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने के लिए ममता बनर्जी जैसे चट्टान से लगातार टकराना पड़ रहा है. कोलकाता में जन्मी ममता बनर्जी आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं लेकिन राजनीति से उनका नाता स्कूल के दिनों से ही जुड़ गया था. स्कूल के दिनों में छात्राओं और छात्रों की समस्या को मुख्य तौर पर उठाने वाली ममता बनर्जी 70 के दशक में कॉलेज में कांग्रेस के जरिए सक्रिय राजनीति से जुड़ी. स्वतंत्रता सेनानी की बेटी ममता बनर्जी को पिता की मौत के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखने और भाई-बहनों के पालन पोषण के लिए दूध तक बेचना पड़ा लेकिन फिर भी उन्होंने कॉलेज और सामाजिक समस्याओं को लेकर राजनीति से अपने कदम पीछे नहीं खींचे. कॉलेज में छात्र राजनीति करने वाली ममता बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से इतिहास में मास्टर डिग्री ली और जोगेश चंद्र कॉलेज से कानून की पढ़ाई की. इसी दौरान वो राजनीति में भी सक्रिय हो गईं और बंगाल में उन्हें कांग्रेस ने महासचिव बना दिया.