नई दिल्ली, दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार के साथ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बोर्ड से उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें CBSE Results 2021 बोर्ड द्वारा निर्धारित इवैल्यूएशन मानदंडों के आधार पर जारी किया जाएगा। एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल द्वारा एक जनहित याचिका याचिका में कहा गया है कि आंतरिक मूल्यांकन परीक्षाओं पर आधारित वर्तमान नीति का स्कूल प्रबंधन द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है, जो माता-पिता के बच्चों के खिलाफ शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ लड़ रहे हैं। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और सीबीएसई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई की 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद कर दी थी और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं टालने का फ़ैसला किया था। अब मंगलवार को 12वीं की परीक्षा भी रद कर दी हैं।
बता दें कि टेबुलेशन पॉलिसी में 100 अंक को कई हिस्सों में बांटा गया है। इस पॉलिसी में 20 अंक इंटरनल असेसमेंट के होंगे। इसके अलावा 100 में से बचे 80 अंक में से 10 अंक समय-समय पर होने वाले यूनिट टेस्ट और 30 अंक हाफईयरली एग्जाम के हैं। वहीं, बाकी बचे 10 अंक भी है।
बता दें कि सीबीएसई बोर्ड ने अंकों के सारणीकरण के लिए कार्यक्रम में संशोधन किया था। इसके तहत स्कूलों के पास आंतरिक मूल्यांकन के अंक जमा करने के लिए 30 जून तक का समय है। सीबीएसई के मुताबिक, आगे की गतिविधियों के लिए रिजल्ट कमिटी द्वारा निर्णय लिया जाएगा। बोर्ड द्वारा आने वाले दिनों में रिजल्ट की तारीख की घोषणा की जा सकती है।
उधर, केंद्रीय माध्यमिक बोर्ड (सीबीएसई) ने बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं रद कर दी हैं। इसको लेकर लंबे समय से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। शिक्षाविदों, शिक्षकों, अभिभावकों और अधिकारियों ने बहुत से विकल्प सुझाए कि विद्यार्थियों को बिना परीक्षा दिए प्रमोट न किया जाए, लेकिन अंत में सीबीएसई ने परीक्षा न कराने का निर्णय लिया तो हर वर्ग को एक तरह की राहत पहुंची है।