बिहार में प्रदूषण फिर बढ़ता जा रहा है। राजधानी पटना की स्थिति और भी खराब है। पटना की हवा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से भी जहरीली हो गई है। अधिकतम तापमान 41 डिग्री के पार होने के बावजूद पटना की हवा प्रदूषित हो रही है। शुक्रवार को दिल्ली से ज्यादा पटना की हवा में पीएम 10 यानी मोटे धूलकण पाए गए। दिल्ली का राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक(AQI) 246 और पटना का 260 रहा। पटना में शाम की तुलना में सुबह की हवा ज्यादा हानिकारक है।

पिछले 24 घंटे में पटना का वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह 10 बजे तक 300 के पार था। वहीं शाम पांच बजे घटकर 260 हुआ। राज्य में सबसे अधिक बेगूसराय की हवा प्रदूषित रही। यहां का सूचकांक 324 रहा। वहीं मुजफ्फरपुर का 255 रहा। बिहार के अन्य जिलों में धूल भरी हवा चलने से एक्यूआई का स्तर बढ़ गया है। जिन जिलों में भवन या सड़क निर्माण ज्यादा चल रहा है वहां की हवा मानव स्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरनाक हो गई है।
ठंड में तापमान कम होने से धूल कण नीचे बैठने लगते हैं, जिससे परिवेशीय वायु की गुणवत्ता खराब हो जाती है। गर्मी के मौसम में तापमान अत्यधिक होने के बावजूद पीएम 10 की मात्रा में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूद समय में वायु गुणवत्ता खराब होने के कई स्थानीय कारण हैं। खुले में कचरा फेंकना, बालू ढोना और सड़क किनारे निर्माण सामग्री रखने से प्रदूषण बढ़ रहा है।
गांधी मैदान का सूचकांक 393
राजधानी के छह प्रमुख स्थलों पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वचालित वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन लगाया है। गांधी मैदान क्षेत्र की हवा में धूलकण की मात्रा मानक से करीब सात गुना अधिक है। गांधी मैदान का सूचकांक 393 है। पिछले आठ महीने से यहां की हवा खतरनाक श्रेणी में बनी हुई है। इस क्षेत्र में तीन बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। पटना मेट्रो, कलेक्ट्रेट के नये भवन का निर्माण और अशोक राजपथ पर पुल निर्माण का काम जारी है। निर्माण कार्य होने से इस क्षेत्र की हवा में धूलकण अत्यधिक है। सुबह में मॉनिंग वॉक करना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है।
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