जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शादान फरासत की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। फरासत ने कहा कि मामले में नोटिस जारी किए जाने के बाद से पैसा आना शुरू हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसे के पीड़ितों के कैशलेस इलाज के लिए फरिश्ते योजना फिर से शुरू करने की मांग वाली याचिका को बंद कर दिया। दरअसल, शीर्ष कोर्ट को बताया गया कि भुगतान न किए जाने का मुद्दा सुलझ गया है।
यह विवाद फरिश्ते योजना को फिर से शुरू करने के लिए लंबित अस्पताल बिलों को जारी करने और निजी अस्पतालों को समय पर भुगतान करने से जुड़ा था। शीर्ष अदालत ने मौखिक तौर पर टिप्पणी की कि एलजी और दिल्ली सरकार के बीच विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाना चाहिए।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शादान फरासत की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। फरासत ने कहा कि मामले में नोटिस जारी किए जाने के बाद से पैसा आना शुरू हो गया है और इसलिए याचिकाकर्ता दिल्ली सरकार याचिका पर जोर नहीं देना चाहती। जस्टिस गवई ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद हमेशा के लिए सुलझ जाना चाहिए।
दूसरी ओर जस्टिस विश्वनाथन ने संबंधित मामले (जिसमें यह मुद्दा शामिल था कि दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा) में एक पक्ष की ओर से पेश होने के कारण मामले की सुनवाई करने में असमर्थता जताई।
जवाब में फरासत ने कहा कि याचिकाकर्ता (सरकार) केवल याचिका वापस लेना चाहती है। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली सरकार के नियंत्रण से सेवाओं को छीनने वाले कानून को चुनौती देने वाली याचिका लंबित है।