दिल्ली समेत 3 राज्यों की NASA ने जारी की सेटेलाइट इमेज, प्रदूषण स्तर है बहुत ज्यादा चिंताजनक

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 14 अक्टूबर 2018 को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में पराली के जलाए जाने की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। पिछले साल की इसी दिन की तस्वीर से तुलना करने पर ये तो साफ होता है कि इस बार पराली जलाने के मामलों में कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण के लिए यह स्थिति भी चिंताजनक है।

 

पराली पर एक नजर

पराली धान की फसल कटने बाद बचा ठंडल वाला बाकी हिस्सा होता है। फसल पकने के बाद किसान का उसका ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं बाकी अवशेष होते हैं। फसल के इस अवशेष को नष्ट करने के लिए कई किसान उसमें आग लगा देते हैं। जिसका धुंआ पर्यावरण को व्यापक पैमाने पर दूषित करता है।

  • पराली जलाना गैरकानूनी है, लेकिन अभी इन इलाकों में इस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकी है।
  • किसानों का कहना है कि पराली जलाने के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
  • पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले पंजाब और हरियाणा में होते हैं।
  • इन दोनों राज्यों की सरकारों का कहना है कि उन्हें किसानों की क्षतिपूर्ति करने के लिए केंद्र से पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं मिलती है।

 

बड़ी समस्या

बीते कई साल से पराली का जलना इस पूरे इलाके की वायु के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। व्यापक पैमाने पर हो रहे इस प्रदूषण का नकारात्मक असर जीवन के हर क्षेत्र में दिखता है।

  • अस्थायी रूप से स्कूल बंद हो जाते हैं।
  • मास्क लगाकर लोगों को बाहर निकलना पड़ता है।
  • हवाई उड़ानों में देरी होती है। कभी-कभी तो उड़ानें रद करनी पड़ती हैं।
  • कम दृश्यता के कारण सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।

 

खराब वायु गुणवत्ता

दिल्ली में वायु की गुणवत्ता इतनी खराब है कि पराली जलाने पर रोक से कोई खास सुधार नहीं हो रहा है। वैसे पराली जलाना दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता का एकमात्र कारण नहीं है। अन्य स्नोतों से हो रहे कार्बन उत्सर्जन और तेजी से हो रही निर्माण गतिविधि भी इसकी वजहें हैं।

 

परफ्यूम और हेयर स्प्रे भी बन रहे प्रदूषण का कारण

वहीं चीन के विशेषज्ञों ने देश में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए हेयर स्प्रे, परफ्यूम और एयर रिफ्रेशर में पाए जाने वाले वाष्प बनने वाले कार्बनिक यौगिकों को जिम्मेदार बताया है।

सोमवार को बीजिंग में छाई जबरदस्त धुंध के बीच विशेषज्ञों का यह बयान आया है। बीजिंग में वायु गुणवत्ता सूचकांक 213 तक पहुंच गया, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक बताया है। बीजिंग में दो करोड़ दस लाख से अधिक लोग रहते हैं। यहां हर साल वायु प्रदूषण की समस्या रहती है।

हाल के वर्षो में सरकार की ओर से शुरू किए गए उपायों के बाद से प्रदूषण में कुछ हद तक गिरावट आई है। वर्ष 2015 से किए गए इन उपायों में कोयले का सीमित इस्तेमाल और प्रदूषण उद्योगों को क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित करना शामिल है। चीन कई साल से धुंध के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। इसके चलते कुछ चीनी इलाकों में जीवन अपेक्षाओं में भी कटौती हुई है। सरकार ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि जबरदस्त प्रदूषण के दिनों में खुद को बचाने के लिए वे मास्क और एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें।

बीजिंग में प्रदूषण के लिए चार-स्तरीय चेतावनी प्रणाली है, जिसमें उच्चतम चेतावनी लाल है। इसके बाद नारंगी, फिर पीली और अंत में नीली चेतावनी होती है। नारंगी चेतावनी का मतलब है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक के लगातार तीन दिनों के लिए 200 से अधिक होने का अनुमान है।

हाई अलर्ट के दौरान, भारी प्रदूषक वाहनों और मलबा लेकर जाने वाले ट्रकों का चलना प्रतिबंधित कर दिया जाता है। इसके अलावा कुछ कंपनियां उत्पादन में भी कटौती करती हैं।

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