दिल्ली में नवंबर के महीने में 2364 कोरोना मरीजों की मौत, हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई

हाईकोर्ट ने नवंबर माह में राजधानी में कोरोना से दो हजार से अधिक मरीजों की मौत पर बृहस्पतिवार को चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह आंकड़ा खतरनाक है। हाईकोर्ट ने कोरोना से मौतों के लिए दिल्ली सरकार को बृहस्पतिवार को एक बार फिर आड़े हाथों लिया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में 2364 कोरोना मरीजों की मौत अब तक हो चुकी है। 

हाईकोर्ट ने राजधानी में बढ़ते कोरोना मरीजों तथा मौतों पर दिल्ली सरकार को 19 नवंबर को फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि हालात खराब हो रहे हैं और सरकार कछुआ चाल से चल रही है। 

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा राजधानी में नवंबर माह में ही दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा अपने आप में खतरनाक है। हाईकोर्ट ने कहा कई बार कहने और कई मौतों के बाद दिल्ली सरकार ने आरटी-पीसीआर जांच की संख्या बढ़ाई। दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि यह जांच बढ़ाकर 40 हजार प्रतिदिन कर दी गई हैं। 

हाईकोर्ट ने यह सवाल शादियों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या 50 करने पर दिल्ली सरकार से पूछा कि इस नियम को कैसे लागू करवाया जा रहा है? क्या इसके लिए कोई प्रोटोकोल निर्धारित किया गया है क्योंकि इस समय बहुत शादियां होती हैं। सरकार को कैसे पता होगा कि कौन उल्लंघन कर रहा है। यह जगह संक्रमण प्रसार न करें इसके लिए सरकार शादियों का औचक निरीक्षण करे और जुर्माना राशि के भुगतान के लिए सरकार एक पोर्टल बनाए। 

खंडपीठ ने कहा उल्लंघन करने वालों से नकद जुर्माना वसूली पर कहा कि मौजूदा समय में इससे बचना चाहिए और इसके लिए ई भुगतान की व्यवस्था होनी चाहिए। क्या सरकार के लिए इसके लिए कोई व्यवस्था की है और फिर लोगों को बेहद नजदीक जाकर ही नकद भुगतान करना होगा। महामारी के समय में लोगों से इसकी उम्मीद करना अनुचित है।

हाईकोर्ट ने वहीं दिल्ली पुलिस व दूसरी एजेंसियों से कहा कि वह कोरोना नियमों का उल्लंघन करने वालों से नकद जुर्माना लेने से बचें। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि वह महामारी में शादियों में नियमों का उल्लंघन करने वालों से जुर्माना वसूलने और उसे उपयोग करने के लिए क्या कदम उठा रही है। 

खंडपीठ ने कहा कि अगर कोई कोरोना संबंधी नियमों का उल्लंघन करता है तो तय समय में जुर्माना भरने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए। अगर सरकार ने पोर्टल नहीं बनाया है तो उसे बनाना चाहिए। दिल्ली पुलिस से पता कीजिए शायद उन्होंने ऐसी कोई व्यवस्था की हो। इसके अलावा दिल्ली सरकार जो मोटा जुर्माना वसूल रही है, उस राशि का क्या कर रही है। क्या उसका प्रयोग सही दिशा में हो रहा है?

खंडपीठ ने पूछा कि क्या सरकार जुर्माना राशि का प्रयोग कोविड सुविधाओं या उससे जुड़ी चीजों पर खर्च किया जा रहा है या ये राशि सरकारी खजाने में ही पड़ी है। दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस इसका जवाब दें। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील सत्यकाम के अनुसार सरकार के पास फंड की कमी है, अगर ऐसा है तो कोविड संबंधी सुविधाएं बढ़ाने के लिए इस राशि का प्रयोग कर सकती है ताकि यह राशि एक अच्छे कार्य के लिए प्रयोग हो।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 28 अक्तूबर से अब तक दिल्ली में 2364 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि प्रतिदिन मिलने वाले मरीजों का आंकड़ा पांच हजार के पार चला गया। इस बीच बुधवार को 99 लोगों की कोरोना से मौत हुई जिससे कुल आंकड़ा 8720 हो गया। 

दिल्ली में 19 नवंबर को 98, 20 को 118, 21 को 111, वहीं 22 व 23 नवंबर को 121-121 लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा 24 नवंबर को 109 लोगों की मौत कोरोना से हुई। 18 नवंबर को कोरोना से 131 लोगों की मौत का आंकड़ा है जो अब तक एक दिन में सबसे अधिक है। वहीं दिल्ली में 11 नवंबर को सबसे अधिक 8593 मामले सामने आए थे। 

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। हाईकोर्ट ने यह बात कोरोना मरीजों के लिए राजधानी के 33 अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड सुरक्षित रखने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए बृहस्पतिवार को कही। 

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि हम जानते हैं कोरोना आंकड़ा बेहद खतरनाक है। यह कहते हुए पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए नौ दिसंबर की तारीख तय कर दी। दिल्ली सरकार द्वारा आईसीयू बेड सुरक्षित करने के आदेश को एसोसिएशन ऑफ हैल्थकेयर प्रोवाइडर्स ने चुनौती दी है। दिल्ली सरकार ने 12 सितंबर को 33 अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड सुरक्षित कर दिये थे।

याचिका पर सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने दिल्ली सरकार की ओर से कहा कि सरकार समयबद्ध रूप से स्थिति का आकलन कर रही है। दिल्ली के संबंध में यह आकलन दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और केंद्रीय गृहमंत्री ने किया था। बुधवार रात भी यह आकलन किया गया और अगली तारीख से पहले दोबारा किया जाएगा। 

एकल पीठ ने दिल्ली सरकार के 12 सितंबर के आदेश पर 22 सितंबर को रोक लगा दी थी। हालांकि खंडपीठ ने राजधानी के बदले हुए हालात के मद्देनजर 12 नवंबर को इस रोक को हटा दिया था। 

वहीं याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने हाईकोर्ट को बताया था कि दिल्ली सरकार के आदेश को रद किया जाना चाहिए क्योंकि यह सोच विचार के दिया गया था। वहीं सरकार ने कहा कि राजधानी में हालात काफी खराब हो चुके हैं और इसे देखते हुए 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए सुरक्षित करना जरूरी था।

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