दिल्ली : मरीजों को फंसाने के लिए अस्पताल के सामने खोला पीजी और कैमिस्ट शॉप

जांच में पता चला है कि आरोपी इस काले कारोबार से अब तक 40 से 45 करोड़ रुपये की कमाई कर चुके हैं। उन्होंने कैंसर के मरीज व उनके तीमारदारों को फंसाने के लिए प्राइवेट अस्पताल के सामने पीजी हॉस्टल और केमिस्ट शॉप बनाना शुरू कर दिया था, ताकि मरीज आसानी से उनके चंगुल में फंस जाएं।

कैंसर के नकली इंजेक्शन बनाने व सप्लाई करने के मामले में नित नए खुलासे हो रहे हैं। जांच में पता चला है कि आरोपी इस काले कारोबार से अब तक 40 से 45 करोड़ रुपये की कमाई कर चुके हैं। उन्होंने कैंसर के मरीज व उनके तीमारदारों को फंसाने के लिए प्राइवेट अस्पताल के सामने पीजी हॉस्टल और केमिस्ट शॉप बनाना शुरू कर दिया था, ताकि मरीज आसानी से उनके चंगुल में फंस जाएं। हाल ही में उन्होंने रोहिणी कैंसर अस्पताल के सामने 2.50 करोड़ रुपये की दुकान खरीदी है। अब इसके ऊपर पीजी बनाने की योजना थी।

अपराध शाखा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मरीजों को फंसाने के लिए आरोपियों ने दिल्ली व गुरुग्राम के प्राइवेट अस्पतालों के सामने पीजी व दवा की दुकानें खोलनी शुरू कर दी थी। आरोपी कोमल तिवारी व परवेज ने हाल ही में अपने अस्पताल राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट के सामने ढ़ाई करोड़ की दो दुकानें खरीदीं थीं।

आरोपी डाक्टर फार्मेसी के नाम से इन दुकानों को चला रहे थे। इन दुकानों के ऊपर ये तीन मंजिला पीजी हॉस्टल बना रहे थे। इरादा था कि इन पीजी में कैंसर मरीजों को रखा जाए। ताकि वे इन मरीजों से आसानी से संपर्क कर कैंसर के नकली इंजेक्शन इन्हें बेच सकें। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इनका नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ था। पुलिस उपायुक्त अमित गोयल ने बताया कि अब ये देखा जा रहा है कि ये कितने मरीजों के संपर्क में आए थे। इसके लिए अस्पतालों को जल्द ही नोटिस दिया जाएगा।

निजी अस्पतालों से असली इंजेक्शन चोरी कर भी बेचते थे आरोपी
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की कैंसर के नकली इंजेक्शन बनाने व सप्लाई करने मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अपराध शाखा की जांच में ये बात सामने आई है कि आरोपी न केवल कैंसर के नकली इंजेक्शन बनाते थे, बल्कि प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पतालों के कैंसर विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों से मिलीभगत कर कैंसर के असली इंजेक्शन चोरी करवा लेते थे। ये एक असली इंजेक्शन के खरीदने के लिए अस्पताल के कर्मचारी को 30 से 35 हजार रुपये देते थे। इस मामले में दो और गिरफ्तारियां हुई हैं। अब तक कुल 12 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त अमित गोयल ने बताया कि इस मामले में दो और आरोपी नूंह, फिरोजपुर झिरका निवासी माजिद खान और अलवर, राजस्थान निवासी साजिद को गिरफ्तार किया है। साजिद गुरुग्राम स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी कर रहा था। माजिद इस समय कहीं नौकरी नहीं कर रहा था। साजिद अपने अस्पताल के कैंसर विभाग से असली इंजेक्शन चुराकर माजिद को देता था। माजिद इन्हें आगे आरोपी नीरज चौहान को देता था। साजिद इंजेक्शन की खाली शीशियां भी देता था।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक मरीज को कैंसर के दो इंजेक्शन लगते हैं। ये आरोपी मरीज को एक इंजेक्शन लगाते थे और दूसरा चुरा लेते थे और मरीज से कहते थे कि दोनों इंजेक्शन लगा दिए हैं। इन आरोपियों के कब्जे ये चार असली इंजेक्शन बरामद किए गए हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी प्राइवेट अस्पतालों को ही अपना निशाना बना रहे थे। अब तक दिल्ली व गुरुग्राम के दो-दो प्राइवेट अस्पतालों के नाम सामने आ चुके हैं। पकड़े जाने के डर से वह सरकारी अस्पतालों से दूर रहते थे।

14 बैंक खातों का पता लगा, 92.81 लाख सीज
अपराध शाखा ने इस गिरोह के 14 बैंक खातों को सीज किया है। इनमें कुल 92.81 लाख रुपये मिले हैं। इन बैंक खातों को सीज करवा दिया गया है। इससे पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 89 लाख रुपये, डॉलर व चार से पांच करोड़ की नकली दवाएं बरामद की हैं।

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