कांवड़ मार्ग निर्माण के लिए पेड़ काटने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने देश के महासर्वेक्षक को हवाई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश के पश्चिमी यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों से जुड़ा है। इसमें कांवड़ यात्रियों के लिए बनाए जा रहे मार्ग पर पिछले एक वर्ष में हरित आवरण को हुए कथित नुकसान की सीमा निर्धारित करने के लिए हवाई सर्वेक्षण करने के लिए कहा है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने महासर्वेक्षक की दलीलों पर गौर किया। उन्होंने कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया ड्रोन का उपयोग कर हवाई सर्वेक्षण कर सकता है। ताकि क्षेत्र की ऑर्थो रेक्टीफाइड तस्वीरें बनाई जा सकें। साथ ही मौजूदा जमीनी स्थिति को दर्शाया जा सके। 30 दिनों के भीतर इस बारे में अदालत को रिपोर्ट सौंपने को कहा है। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।
अधिकरण, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन वन प्रभागों के संरक्षित वन क्षेत्र में एक लाख से अधिक पेड़ों और झाड़ियों की कथित कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था। अदालत ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था। इसमें खुलासा किया गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार 
ने ऊपरी गंग नहर के किनारे सड़क के लिए 1.12 लाख पेड़ों को काटने की अनुमति दी थी। उसके बाद तीन लोगों ने हस्तक्षेप आवेदन दायर किया था। पीठ ने कहा कि महासर्वेक्षक अपनी रिपोर्ट में संबंधित क्षेत्र में एक वर्ष के दौरान नष्ट हुए वृक्ष आवरण की सीमा व संभव हो तो काटे गए पेड़ों की संख्या के बारे में अपने निष्कर्ष देंगे। इससे पहले 20 सितंबर को अदालत ने उसके समक्ष उपस्थित न होने पर भारतीय सर्वेक्षण विभाग के प्रमुख पर एक रुपये का जुर्माना लगाया था।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि महासर्वेक्षक ने 20 सितंबर के आदेश की समीक्षा के लिए नियमित अपील (आरए) दायर की है। इस दौरान एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के सहायक महाधिवक्ता की दलीलों पर भी गौर किया कि अगली सुनवाई तक कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी।
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