दिल्ली के चुनाव ने बीजेपी के घमंड को चूर-चूर कर दिया: संजय राउत

दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद आप नेता अरविंद केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री की कमान संभालने जा रहे हैं. इस बीच शिवसेना के मुखपत्र सामना में बीजेपी पर व्यंग्य किया गया है.

सामना में संजय राउत ने कहा है कि बाप रे! पूरी दिल्ली देशद्रोही! दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने यह दिखा दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह अजेय नहीं हैं. संजय राउत ने लिखा है कि, “दूसरी बात मतलब मतदाता बेईमान नहीं हैं. धर्म का बवंडर पैदा किया जाता है, उसमें वे बहते नहीं हैं. राम श्रद्धा की जीत हैं ही लेकिन कुछ विजय हनुमान भी दिलाते हैं. दिल्ली में ऐसा ही हुआ.”

संजय राउत ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव में मजबूत और अभेद्य रही भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में ताश के पत्तों से बने बंगले की तरह धराशायी हो जाती है, ऐसा दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने स्पष्ट कर दिया. भारतीय जनता पार्टी अजेय नहीं है और मोदी-शाह के कारण चुनाव जीता जा सकता है, इस दंतकथा से लोगों को अब तो बाहर निकलना चाहिए.

शिवसेना सांसद ने कहा है कि अब बीजेपी का गुब्बारा फूटने की शुरुआत हो गई है. उन्होंने सामना में लिखा है, “दिल्ली विधानसभा का चुनाव परिणाम घोषित हुआ तब मैं उजबेकिस्तान में उतरा था. ताशकंद हवाई अड्डे के बाहर वहां 15 वर्षों से रहनेवाले दो हिंदुस्थानी मिले, ‘भाजपा का गुब्बारा फूटने की शुरुआत अब हो गई है. प्रभु श्रीराम भी उनकी मदद करने को तैयार नहीं हैं.’ ऐसा विदेशी धरती पर रहनेवाले हिंदुस्थानी कहते हैं, तब आश्चर्य नहीं होता है.

संजय राउत ने कहा कि बीजेपी को पहले ही लग गया था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में  बीजेपी की‘नैया’ डूब रही है, ये विश्वास होते ही बीजेपी ने हुकुम का इक्का बाहर निकाला. सीधे प्रभु श्रीराम को ही चुनाव प्रचार में उतार दिया. संसद के अधिवेशन के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में रामजन्म भूमि ट्रस्ट की घोषणा करके राम मंदिर का कार्य प्रारंभ हो रहा है, ऐसी सार्वजनिक घोषणा की,  लेकिन राम मंदिर की घोषणा का कोई भी ‘करंट’ दिल्ली विधानसभा में नहीं ला सकी.

शाहीन बाग में CAA के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए संजय राउत ने लिखा है कि शाहीन बाग में नागरिकता कानून के विरोध में मुसलमान धरने पर बैठे. भाजपा ने इसका इस्तेमाल हिंदू बनाम मुसलमान के तौर पर किया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सबसे दयनीय हार हिंदुओं की बहुलता वाले निर्वाचन क्षेत्रों में ही हुई. केजरीवाल को हिंदू-मुसलमान, ईसाई, दलित, सिख सभी ने वोट दिए. देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री और मजबूत गृहमंत्री की उन्होंने नहीं सुनी.

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