बीमारी के चलते महिला के फेफड़े, लिवर और हार्ट की कार्य क्षमता प्रभावित थी। इसके चलते महिला सीपैप (वेंटिलेटर) की मदद से ऑक्सीजन ले रही थीं। तीन महीने से बेड से पर थीं। एम्स में महिला की वजन घटाने वाली स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी (बेरियाट्रिक) सर्जरी की गई।
एम्स के डॉक्टरों ने बहुत अधिक मोटापे, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) बीमारी से जूझने वाली 146.5 किलो की 44 वर्षीय महिला को नई जिंदगी दी है। बीमारी के चलते महिला के फेफड़े, लिवर और हार्ट की कार्य क्षमता प्रभावित थी। इसके चलते महिला सीपैप (वेंटिलेटर) की मदद से ऑक्सीजन ले रही थीं। तीन महीने से बेड से पर थीं। एम्स में महिला की वजन घटाने वाली स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी (बेरियाट्रिक) सर्जरी की गई।
एम्स सर्जरी विभाग के डॉ. मंजूनाथ मारुति पोल ने बताया कि महिला दिल्ली के संगम विहार इलाके की रहने वाली हैं। पिछले 12 वर्षों से उनका वजन लगातार बढ़ रहा था। आहार और व्यायाम में बदलाव के बावजूद वह तीन वर्षों से वजन कम नहीं कर पा रही थीं। बीते तीन महीने से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। वह ठीक से सो नहीं पा रही थी।
मरीज को चार महीने पहले सफदरजंग अस्पताल के श्वसन विभाग में भी भर्ती कराया गया था। ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ महिला को डिस्चार्ज किया गया। महिला को गंभीर स्लीप एपनिया होने के बारे में पता चला। फिर उपचार के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रेफर कर दिया गया। इस बीच महिला के फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया। महिला को सीपैप पर डाल दिया गया।
आईसीयू में एक महीने चला उपचार
डॉ. मंजूनाथ मारुति पोल ने बताया कि जुलाई मध्य में महिला को जांच, बैरिएट्रिक सर्जरी के लिए एम्स में रेफर किया गया। हालात बिगड़ने पर महिला को आईसीयूमें भर्ती किया गया। डॉक्टर ने बताया महिला के पेट के 80% हिस्से को हटा दिया गया। पेट में एक पतली ट्यूब के आकार की थैली रह जाती है। भोजन करने की क्षमता कम होने से वजन घटने लगता है।
चुनौतीपूर्ण थी सर्जरी
उन्होंने कहा कि महिला की सर्जरी करना काफी चुनौतीपूर्ण था। महिला के पेट की मोटाई 15 सेमी थी। दूरबीन वाले उपकरण चल नहीं पा रहे थे। महिला के कई अंगों के काम न करने की वजह से उन्हें एनेस्थीसिया देना भी चुनौती था। एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. सुष्मिता और उनकी टीम ने बखूबी इस काम को संभाला।
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