इन्हें टिकट में मजबूत दावेदारी के साथ ही संगठन में भी तरजीह मिल रही है। वे भी बदली हुई पार्टी के सियासी दांवपेच में मुख्य भागीदार बन गए हैं। हालांकि, इसका विरोध भी कम नहीं है। कार्यकर्ताओं में इससे निराशा है और वे भी पार्टी बदलने के चक्कर में हैं।
विधानसभा चुनाव में बागी नेताओं की इस बार बल्ले-बल्ले है। इन्हें टिकट में मजबूत दावेदारी के साथ ही संगठन में भी तरजीह मिल रही है। वे भी बदली हुई पार्टी के सियासी दांवपेच में मुख्य भागीदार बन गए हैं। हालांकि, इसका विरोध भी कम नहीं है। कार्यकर्ताओं में इससे निराशा है और वे भी पार्टी बदलने के चक्कर में हैं।
विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार सबसे अधिक दल-बदल देखने को मिल रहा है। मंत्री पद तक छोड़कर नेता पार्टी बदल रहे हैं। इनमें आप नेता कैलाश गहलोत व राजकुमार आनंद शामिल हैं। इतना ही नहीं, कांग्रेस के पूर्व मंत्री व अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली और राजकुमार चौहान ने भी पार्टी बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया था। लवली दूसरी बार भाजपा में शामिल हुए। पहली बार जब उन्हें पार्टी में कुछ खास पद नहीं मिला तो वह लौट गए थे।
इसे ही देखते हुए भाजपा रणनीति बदलकर चुनाव की जिम्मेदारी सौंपने लगी है, ताकि उनका भरोसा न डिगे। पांच दिन पहले ही मंत्री पद के साथ आप छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कैलाश गहलोत को भाजपा ने चुनाव संचालन समिति का सदस्य बना दिया है। लवली को घोषणा पत्र समिति में शामिल किया गया है। ये नेता टिकट के भी दावेदार हैं। इस तरह से भाजपा की ओर से आप-कांग्रेस की काट उन्हीं के बागी नेताओं में तलाश की जा रही है।
भाजपा और कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल होने वालों की फेहरिस्त भी कम नहीं है। पांच बार और तीन बार विधायक रह चुके नेता भी पार्टी बदलने में पीछे नहीं है। पार्टी ने पहली ही सूची में उन सभी बागी नेताओं को चुनावी मैदान में भी उतार दिया। इस राजनीति का खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ रहा है। जीते हुए विधायक जब पार्टी छोड़ रहे हैं तो वहां की अन्य पार्टियों के नेता भी दल-बदल में पीछे नहीं रह रहे है क्योंकि उन्हें टिकट नहीं मिलने का खतरा दिखाई दे रहा है।
छतरपुर के पूर्व विधायक करतार सिंह तंवर जब भाजपा में शामिल हुए तो वहां के दिग्गज नेता ब्रह्म सिंह तंवर भाजपा का साथ छोड़ आप में चले गए। आप ने बतौर उम्मीदवार भी उन्हें मैदान में उतारा है। इसी तरह पांच बार के पूर्व विधायक मतीन अहमद ने भी कांग्रेस छोड़कर आप का दामन थाम लिया। लिहाजा, इनकी भी सीट पक्की मानी जा रही है।
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