दिल्लीवासियों को सीएम रेखा गुप्ता सरकार का तोहफा

दिल्ली सरकार की योजना इनर रिंग रोड पर लगभग 80 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की है, जिसमें रैंप, लूप और अतिरिक्त लिंक रोड शामिल होंगे। यह कॉरिडोर मौजूदा सड़क के ऊपर खंभों पर बनाया जाएगा जिससे जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता कम होगी।

राजधानी की सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक के बोझ को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने इनर रिंग रोड पर एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना की शुरुआत की है। यह परियोजना न केवल राजधानी में यातायात की भीड़भाड़ को कम करेगी, बल्कि दिल्लीवासियों के लिए सुगम और तेज यात्रा की सुविधा भी प्रदान करेगी। इस परियोजना की लागत 5,500 से 6,000 करोड़ रुपये के बीच अनुमानित है। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार के कार्यकाल के भीतर इसे पूरा किया जाएगा।

इनर रिंग रोड लगभग 55 किलोमीटर लंबी है। इसका निर्माण 1960 के दशक में शुरू हुआ था। उस समय दिल्ली की जनसंख्या 30 लाख से भी कम थी। इसका मुख्य उद्देश्य मध्य दिल्ली से ट्रैफिक को बाहर की ओर डायवर्ट करना और शहर के भीतरी हिस्सों में यातायात के दबाव को कम करना था।

यह सड़क दिल्ली के प्रमुख इलाकों को जोड़ती है और मथुरा रोड, अरबिंदो मार्ग, डीएनडी फ्लाईवे और रोहतक रोड जैसे महत्वपूर्ण मार्गों से यातायात को जोड़ने का काम करती है। हालांकि, मौजूदा समय दिल्ली की जनसंख्या दो करोड़ से अधिक हो चुकी है और शहर में वाहनों की संख्या 1.4 करोड़ को पार कर गई है। इस वजह से इनर रिंग रोड पर ट्रैफिक का दबाव कई गुना बढ़ गया है। खासकर एम्स, मूलचंद, धौला कुआं, आश्रम और आईटीओ जैसे चौराहों पर जहां जाम की स्थिति रोज होती है।

दिल्ली सरकार की योजना इनर रिंग रोड पर लगभग 80 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की है, जिसमें रैंप, लूप और अतिरिक्त लिंक रोड शामिल होंगे। यह कॉरिडोर मौजूदा सड़क के ऊपर खंभों पर बनाया जाएगा जिससे जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता कम होगी। इस प्रीमियम कॉरिडोर को सिग्नल-फ्री और हाईस्पीड मार्ग के रूप में डिजाइन किया जाएगा जो टोल देने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए तेज और सुगम यात्रा सुनिश्चित करेगा।

लोक निर्माण विभाग के मंत्री प्रवेश वर्मा ने इस परियोजना को दिल्ली सरकार की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक बताया है। उन्होंने कहा, रिंग रोड पर बढ़ते यातायात को देखते हुए मौजूदा सड़क के ऊपर इस एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण करेंगे। इसके लिए कुछ जमीन अधिग्रहीत होगी और रैंप व लूप के जरिये इसे प्रमुख मार्गों से जोड़ा जाएगा।

इस परियोजना के लिए पीडब्ल्यूडी ने सलाहकार नियुक्त करने और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। डीपीआर में तकनीकी व्यवहार्यता और यातायात डायवर्जन मॉडल की जांच की जाएगी ताकि निर्माण के दौरान व्यवधान न्यूनतम रहे।

अन्य परियोजनाओं पर भी हो रहा काम
दिल्ली सरकार मुनक नहर पर भी 20 किलोमीटर लंबा एक और एलिवेटेड कॉरिडोर बना रही है जो इंद्रलोक से बवाना तक जाएगा। इस परियोजना से 18 विधानसभा क्षेत्रों को लाभ होगा और दिल्ली-हरियाणा के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इसके अलावा, तीसरी रिंग रोड भी जल्द तैयार हो जाएगी। यह इनर और आउटर रिंग रोड पर ट्रैफिक के दबाव को कम करेगी।

यह होगा फायदा
ट्रैफिक जाम से राहत : सिग्नल-फ्री कॉरिडोर के कारण इनर रिंग रोड पर जाम की समस्या काफी हद तक कम होगी। खासकर पीक आवर्स में यात्रा का समय 40 फीसदी तक कम हो सकता है।

बेहतर कनेक्टिविटी : यह कॉरिडोर दिल्ली के प्रमुख मार्गों जैसे मथुरा रोड, अरबिंदो मार्ग और डीएनडी फ्लाईवे को जोड़ेगा जिससे हवाई अड्डे, गुरुग्राम और अन्य राजमार्गों तक पहुंच आसान होगी।

प्रदूषण में कमी : ट्रैफिक जाम कम होने से वाहनों का उत्सर्जन कम होगा जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।

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