ये तो सब जानते हैं कि द्रौपदी से अर्जुन का विवाह स्वयंवर में मिली जीत का परिणाम था. लेकिन द्रौपदी का विवाह पांचों पांडवों से मां कुंती के दिए आदेश के चलते हुआ. फिर भी द्रौपदी ने पांचों भाइयों के साथ पत्नी का धर्म निभाया था. द्रौपदी के अपमान के चलते छिड़े महाभारत को दुर्योधन के वध के बाद जीतकर पांडव खुश तो थे, लेकिन सर्वाधिक खुशी भीमसेन को थी. ऐसा इसलिए क्योंकि पांचों भाइयों में द्रौपदी से सर्वाधिक प्रेम भीम को था, यही कारण था कि भरी सभा में द्रौपदी के वस्त्रहरण के बाद भीमसेन ने दुर्योधन की जंघा तोड़ने और दुशासन की छाती फाड़कर रक्त पीने की सौगंध ली थी.
अपनी सौगंध पूरी कर पत्नी के अपमान का बदला लेने के चलते भीमसेन द्रौपदी के और भी प्रिय हो गए थे. यही कारण था कि द्रौपदी ने स्वयंवर में अर्जुन को पति के तौर पर जरूर चुना, लेकिन पूरी उम्र वह भीम को ही अधिक पसंद करती रहीं. अंत समय में भी उन्होंने अर्जुन के बजाय भीम को ही अगले जन्म में अपने पति के तौर पर प्राप्त करने की इच्छा जताई.
पांचों पांडव जब स्वर्ग की कठिन यात्रा कर रहे थे तो सभी चाहते थे कि हम सशरीर स्वर्ग पहुंचें. महाभारत कथा अनुसार पांचों पांडव, द्रौपदी और एक कुत्ता आगे चलने लगे. बद्रीनाथ से आगे बढ़ने पर सरस्वती नदी पार करने में द्रौपदी असहाय हो गईं तो भीम ने बड़ी सी शिला उठाकर बीच नदी में फेंक दिया. इस पर चलकर द्रौपदी सरस्वती नदी पार कर सकीं. कहा जाता है कि उत्तराखंड के इस माणा गांव में आज भी सरस्वती के उदगम पर यह चट्टान दिखती है, इसे अब भीम पुल कहा जाता है. वहीं आगे बढ़कर फिर द्रौपदी लड़खड़ाकर गिरने लगीं तो भीम का सहारा लेकर चलने लगीं, लेकिन ज्यादा दूर नहीं चल पाई और फिर गिरने लगी. ऐसे में फिर भीम ने उन्हें संभाला. तब द्रौपदी ने कहा, कि सभी भाइयो में भीम ने ही मुझे सबसे ज्यादा प्यार किया है और मैं भी उनसे प्रेम करती हूं. अगले जन्म में भी मैं फिर से भीम की पत्नी बनना चाहूंगी. इसके बाद कठिन रास्ते पर गिरकर बेहाल द्रौपदी ने दम तोड़ दिया. थोड़ा आगे चलते ही भीम भी गिरकर मृत्यु को प्राप्त हो गए.