थोक मुद्रास्फीति दर में इतने प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, सरकार ने बताया क्यों बढ़ी महंगाई

नई दिल्ली, खाद्य पदार्थों में नरमी के बावजूद कच्चे तेल और गैर-खाद्य पदार्थों की कीमतों में मजबूती के कारण फरवरी में थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 13.11 प्रतिशत हो गई। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2021 से शुरू होकर लगातार 11वें महीने WPI मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में बनी हुई है। पिछले महीने महंगाई दर 12.96 फीसदी थी, जबकि पिछले साल फरवरी में यह 4.83 फीसदी थी। हालांकि, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति फरवरी में 10.33 प्रतिशत से घटकर 8.19 प्रतिशत हो गई। फरवरी में सब्जियों की महंगाई दर 26.93 फीसदी थी, जो इससे पिछले महीने 38.45 फीसदी थी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “पिछले साल के फरवरी महीने की तुलना में फरवरी 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर, मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों और गैर-खाद्य वस्तुओं आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है।” विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति फरवरी में 9.84 प्रतिशत रही, जो जनवरी में 9.42 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली क्षेत्र में फरवरी महीने के दौरान मूल्य वृद्धि की दर 31.50 प्रतिशत थी।

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण कच्चे पेट्रोलियम की मुद्रास्फीति फरवरी के दौरान बढ़कर 55.17 प्रतिशत हो गई, जो उससे पिछले महीने 39.41 प्रतिशत थी। हालांकि, अब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें फिर से कम होनी शुरू हो गई हैं। बीते सप्ताह भी इसमें गिरावट देखनो को मिली थी और सोमवार को शुरुआती कारोबार में भी अंतराष्टरीय कच्चे तेल की कीमतों में 4 फीसदी के करीब की गिरावट देखी गई। तो हो सकता है कि आने वाले समय में कच्चे पेट्रोलियम की मुद्रास्फीति में थोड़ी राहत मिले।

रिजर्व बैंक ने पिछले महीने अपनी प्रमुख रेपो दर को बिना बदले जारी रखा था। विकास को समर्थन देने के साथ-साथ मुद्रास्फीति के दबावों का प्रबंधन करने के लिए लगातार 10वीं बार 4 प्रतिशत पर रेपो दर को अपरिवर्तित रखा गया था।

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