कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में सबसे ज्यादा बन आई नौकरियों पर। तमाम कंपनियों में छंटनी हुई तो कहीं सैलरी कम हो गई। सरकार ने मदद तो की लेकिन उनकी भी एक सीमा है। अब लॉकडाउन की रियायतें बढ़ने के बाद हालत सुधारते नजर आ रहे हैं। सितंबर माह में पूरे मध्य प्रदेश में 28,309 लोगों को रोजगार मिले। रोजगार पाने वाले ज्यादातर लोगों का वेतन 15 हजार रुपए से अधिक था। नौकरियों पाने की रफ्तार पिछले दो सालों में सबसे अधिक है।
केवल दो माह (अगस्त-सितंबर) में ही 52,744 लोगों को रोजगार मिल चुके हैं। जानकार कहते हैं कि त्योहारों से ठीक पहले कंपनियों ने अपना उत्पादन बढ़ाया था। इसलिए भी बड़े पैमाने पर लोगों को हायर किया गया।
जानकार कह रहे हैं कि ऑटोमोबाइल और फार्मा सेक्टर से जुड़ीं अधिकांश कंपनियों ने सीधे रोजगार न देकर कांट्रेक्टर के माध्यम से लोगों को रखा था। ऐसे में क्वालिटी इंप्लायमेंट के लिए अभी मप्र में लोगों को इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि, रिटेल और टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ीं कंपनियों का काम बढ़ने से भी नौकरियों की तादाद में एकदम से इतनी बढ़ोतरी हुई। लेकिन यहां भी प्रत्यक्ष रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है।
इन क्षेत्रों में बढ़े अवसर
1. होटल और दूसरी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवाओं में
2. हाउस किपिंग, सिक्योरिटी सेवाओं में
3. सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से इनसे जुड़े काम करने वाले बढ़े।
4. निर्माण और फार्मा सेक्टर की कंपनियों में
इस तरह बढ़ीं नौकरियां, पीएफ में नए नाम जुड़े
पीएफ का एनरोलमेंट बढ़ा है। इसके मायने यह हैं कि लोगों को इतना वेतन मिल रहा है कि उनका श्रम विभाग के दिशा निर्देशों के तहत पीएफ काटा जाए। पेंशन योग्य वेतन 15 हजार है। -एसके सुमन, क्षेत्रीय आयुक्त, ईपीएफओ, भोपाल