कंपकंपाती ठंड में 25 दिन से किसान आंदोलन जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी लगातार कह रही है कि इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई आंच नहीं आएगी, लेकिन किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की बात पर अड़े हैं। इसी बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बड़ा बयान दिया है।
मनोहर लाल ने स्प्ष्ट किया है कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कोई आंच आई, उससे पहले वे राजनीति छोड़ देंगे। सरकार नए कृषि कानूनों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर की बात सोच रही है। एमएसपी कभी खत्म नहीं होगी। एमएसपी थी, एमएसपी है और रहेगी। इस प्रकार मंडियां भी रहेंगी।
कुछ लोग राजनीति से प्रेरित होकर आंदोलन कर रहे हैं कि वे किसान हितैषी नहीं है। सीएम ने कहा कि तीनों नए कृषि कानून किसानों के हित के लिए हैं। इससे पहले प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी एमएसपी के समर्थन में बयान दे चुके हैं।
नारनौल में जल अधिकार रैली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक नहर) के मुद्दे पर कहा कि एसवाईएल का मामला दशकों से लंबित है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही इस मामले को समय से पहले सुनने की याचिका लगाई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला दिया।
दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री को बैठकर फैसला करने को कहा था लेकिन पंजाब हमारा हक देने को राजी नहीं हुआ। अब सुप्रीम कोर्ट कभी भी अंतिम फैसला सुनाएगा और हमें अपना हक मिलेगा। लोकतांत्रिक देश में राज्यों की मनमानी नहीं चल सकती। एसवाईएल पर पंजाब को अपनी हठ छोड़नी होगी। सीएम ने कहा कि प्रजातंत्र में विरोध करने का एक तरीका होता है। सदन व मीडिया के समक्ष या लोकतांत्रिक ढंग से सभा करके विरोध कर सकते हैं। बार्डर पर बैठे पंजाब के किसान भाइयों से हमें एसवाईएल के पानी की बात रखनी चाहिए।